श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 20 अक्टूबर 2020।🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
🌻मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020🌻
सूर्योदय: 🌄 06:44
सूर्यास्त: 🌅 17:59
चन्द्रोदय: 🌝 10:24
चन्द्रास्त: 🌜09:07
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 2042
विक्रम सम्वत: 👉 2077
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि: 👉 चतुर्थी (11:18 तक)
नक्षत्र: 👉 ज्येष्ठा (26:12 तक)
योग: 👉 सौभाग्य (09:49 तक)
प्रथम करण: 👉 विष्टि (11:18 तक)
द्वितीय करण: 👉 बव (22:07 तक)
अभिजित मुहूर्त: 👉 11:59-12:44
राहुकाल: 👉 15:10-16:34
दिशा शूल: 👉 उत्तर
चन्द्र वास: 👉 उत्तर
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 वृश्चिक
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग =06:44-08:08
२ – उद्वेग =08:08-09:33
३ – चर =09:33-10:57
४ – लाभ =10:57-12:21
५ – अमृत =12:21-01:46
६ – काल =01:46-03:10
७ – शुभ =03:10-04:34
८ – रोग =04:34-05:59
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल =05:59-07:34
२ – लाभ =07:34-09:10
३ – उद्वेग =09:10-10:46
४ – शुभ =10:46-12:22
५ – अमृत =12:22-01:57
६ – चर =01:57-03:33
७ – रोग =03:33-05:09
८ – काल =05:09-06:45
माँ श्री दुर्गा का चतुर्थ रूप कूष्मांडा हैं। अपनी मन्द हंसी से अपने उदर से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारंण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्ड कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण से भी इन्हें कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था तब इन्होंने ईषत हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। यह सृष्टि की आदिस्वरूपा हैं और आदिशक्ति भी। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। कुष्मांडा देवी के शरीर की चमक भी सूर्य के समान ही है कोई और देवी देवता इनके तेज और प्रभाव की बराबरी नहीं कर सकतें। माता कुष्मांडा तेज की देवी है इन्ही के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहते हैं की सारे ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कुष्मांडा की देन है।