श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 21 मई 2023। कल कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का गठन बिना टकराहट के हो गया। सिद्धारमैया सीएम व डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बन गये। आपसी झगड़े व मनमुटाव की बातें करने वालों को डीके ने मुंहतोड़ जवाब दिया। कई मीडिया हाउस के पक्षपाती सवालों पर उनको भी हड़काने में वे पीछे नहीं रहे। शपथ ग्रहण समारोह की सारी तैयारी भी कराई। कर्नाटक आने पर राहुल व प्रियंका की अगुवाई भी की। एक साफ मैसेज था कि कांग्रेस मजबूत है, कोई भी भ्रम न पाले।
शपथ ग्रहण समारोह को भी कांग्रेस ने विपक्ष की एकता दिखाने का आयोजन किया। नीतीश कुमार, तेजस्वी, स्टालिन, हेमंत सोरेन,शरद पंवार, जयंत चौधरी, फारूक अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ्ती, सीताराम येचुरी, डी राजा, टीएमसी प्रतिनिधि, यूपीए के सहयोगी दलों के नेता आदि मंच पर थे। अंत में सबने हाथ में हाथ लेकर एक होने का संदेश दिया। क्योंकि इस समारोह पर भाजपा सहित सभी कांग्रेस विपक्षियों की नजर थी।
कर्नाटक सरकार गठन के शपथ ग्रहण समारोह से विपक्ष के मजबूत होने का तो संकेत मिला, मगर विपक्ष के एक होने का संदेश नहीं मिल सका। क्योंकि निमंत्रण के बाद भी ममता ने दूरी बनाये रखी, केवल अपने प्रतिनिधि को भेज दिया। ठीक इसी तर्ज पर सपा के अखिलेश यादव भी नदारद रहे। इन दोनों नेताओं का रुख अब भी थोड़ा अस्पष्ट है। अखिलेश ने पुरानी वही बात दोहराई जो ममता ने भी कही थी कि जब तक कांग्रेस इस फार्मूले को मानने के लिए तैयार न हो कि जिस राज्य में जो क्षेत्रीय दल मजबूत है वहां उसे प्राथमिकता मिलेगी, तब तक कुछ भी कहना सम्भव नहीं। अखिलेश व ममता के बयान पर कांग्रेस ने आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। टीएमसी के नेता दबी जुबान में कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में वे और अखिलेश कांग्रेस के हिस्से में 200 सीट रखना चाहते हैं। जो कांग्रेस को सहज में स्वीकार्य नहीं होगा। जबकि नीतीश व शरद पंवार को अब भी भरोसा है कि विपक्ष एक हो जायेगा। टीएमसी व सपा के अलावा केसीआर भी साथ आ जाएंगे। नीतीश को तो आप पर भी भरोसा है। मगर कांग्रेस दिल्ली व पंजाब में आप से सीधे मुकाबले में है, तेलंगाना में वो केसीआर से समझौते के मूड में नहीं। सपा यूपी में पहले ही कांग्रेस को अलग कर चुकी। विपक्ष की एकता का समीकरण इन कारणों से ही उलझा है। कांग्रेस ने एकता के कर्नाटक के प्रदर्शन से वैसे भी मायावती, केजरीवाल, आंध्रा के रेड्डी, उड़ीसा के पटनायक को दूर रखा। जाहिर है, विपक्ष में पहले से ही दो धड़े है।
कांग्रेस वैसे भी महाराष्ट्र में महाअगाडी गठबंधन का हिस्सा है तो तमिलनाडु में डीएमके से उसका पुराना व मजबूत गठजोड़ है। झारखंड में वो सोरेन के साथ सरकार में है। इस हालत में 200 सीट लेने की बात को वो स्वीकारने की स्थिति में नहीं है। इसलिए ये कहना गलत नहीं कि विपक्ष की एकता की बात दूर की कौड़ी है। अभी राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के चुनाव है, उनके परिणाम आने पर हो सकता है विपक्ष की एकता की बात पर नए सिरे से बात हो। क्योंकि इन राज्यों में मुख्य रूप से कांग्रेस ही मुकाबले में है। इसके अलावा ममता को भी विपक्ष की जरूरत है, क्योंकि उनके भतीजे व नेताओं पर ईडी, सीबीआई आदि के मामले तेजी पर है। ये ही हाल आप का है। ये लड़ तभी सकते हैं जब विपक्ष साथ हो, शायद नीतीश व पंवार के बयानों का ये ही आधार है। कुल मिलाकर कर्नाटक से विपक्ष के मजबूत होने का ही संदेश गया है, एक होने का सपना अभी भी अधूरा है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार