May 20, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 22 मई 2021। भारत के लोगों के लिए एक के बाद एक परेशानी सामने आती जा रही है। पहले कोविड-19 की दूसरी लहर (Covid-19 Second Wave in India) ने देश को हिलाकर रख ही रखा था, तो उसके बाद ब्लैक फंगस (Black Fungus or Mucormycosis) ने लोगों की हालत खराब कर दी। इतना ही नहीं, ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस के मामले भी पटना में देखने को मिले। एक्सपर्ट के मुताबिक व्हाइट फंगस (White Fungus), ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक है। लेकिन ऐसा क्यों है और इसके लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं? आइए आगे जानते हैं।

कोविड-19 मरीजों को क्यों हो रहा है व्हाइट फंगस (White Fungus and Covid-19)?
कोविड-19 और व्हाइट फंगस का सबसे बड़ा और आम रिश्ता यह है कि इस फंगल इंफेक्शन के फेफड़ों तक पहुंचने के बाद दिखने वाले लक्षण बिल्कुल कोरोना के लक्षणों से मेल खाते हैं। मरीज कोविड-19 टेस्ट (Covid-19 test) करवाते रहते हैं, लेकिन रिजल्ट नेगेटिव आने के साथ लक्षण बने रहते हैं। यह फंगल संक्रमण भी कमजोर इम्यून सिस्टम (रोग व संक्रमण से लड़ने की शारीरिक क्षमता) वाले लोगों को शिकार बनाता है। चूंकि, कोरोनावायरस पहले ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर कर देता है, इसलिए व्हाइट फंगस के लिए मरीज को अपना शिकार बनाना आसान हो जाता है। एचआरसीटी के माध्यम से व्हाइट फंगस के कारण भी फेफड़ों में कोरोना जैसे पैच दिखाई दे सकते हैं।

अभी तक व्हाइट फंगस (White Fungus) के फैलने के पीछे का सटीक कारण मालूम नहीं हो पाया है। लेकिन कई एक्सपर्ट्स ने कोरोना पेशेंट्स के शरीर में इस संक्रमण के पहुंचने की आशंका ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए बताई है। उनके मुताबिक, गंदे-मैले ऑक्सीजन सिलेंडर या ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़े ह्यूमिडिफायर में नल का पानी इस्तेमाल करने से व्हाइट फंगस इंफेक्शन हो सकता है। इसके साथ ही, स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल भी एक वजह हो सकती है।

क्यों ब्लैक फंगस (Black Fungus) से ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस (White Fungus)?
व्हाइट फंगस भी ब्लैक फंगस की तरह शरीर के कई भागों जैसे फेफड़े, त्वचा, दिमाग आदि पर हमला करता है। लेकिन जो कारण इसे ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमायकोसिस से ज्यादा खतरनाक बनाता है, वो है शरीर में इसके फैलने की तीव्रता और गंभीरता। यह ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मुकाबले ज्यादा तेजी से फेफड़ों व शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिमाग, पाचन तंत्र, किडनी, नाखून व गुप्तांगों तक फैलता है और गंभीर क्षति पहुंचाता है। कोविड-19 के मरीजों के फेफड़े पहले से ही कमजोर होते हैं और फिर इस संक्रमण के तेज और गंभीर हमले को झेल नहीं पाते। व्हाइट फंगस (White Fungus) के खतरनाक होने के पीछे अभी तक यही वजह दिखाई देती है।

क्या है व्हाइट फंगस और इसके लक्षण (White Fungus Symptoms)
देश में व्हाइट फंगस के शुरुआती मामले को एस्परगिलस और कैंडिडा फंगल इंफेक्शन (Aspergillus and Candida) का मिला-जुला रूप माना जा रहा है। यह दोनों ही फंगल इंफेक्शन हैं। जहां कैंडिडा मुख्य रूप से त्वचा के किसी भी भाग पर हो सकता है, वहीं एस्परगिलस एक एलर्जी है, जो त्वचा से लेकर फेफड़े, दिमाग, किडनी आदि को नुकसान पहुंचा सकती है। व्हाइट फंगस में एस्परगिलस का रूप ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।

वातावरण, मिट्टी, पेड़-पौधे में आमतौर पर मिलने वाले सूक्ष्मजीवों के सांस द्वारा शरीर में जाने पर एस्परगिलस इंफेक्शन हो सकता है। अमूमन हमारा शरीर इस प्रकार के इंफेक्शन से लड़ने में सक्षम होता है। मगर कोरोना, एचआईवी-एड्स, मधुमेह, अस्थमा जैसी किसी बीमारी के कारण कमजोर हुआ इम्यून सिस्टम ढंग से लड़ नहीं पाता। इसके बाद शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।

  • बुखार
  • कमजोरी
  • खांसी में खून के थक्के
  • सांस फूलना
  • वजन घटना
  • जोड़ों में दर्द
  • नाक से खून आना
  • त्वचा पर निशान, आदि

जांच कैसे की जाती है?
व्हाइट फंगस की जांच के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट का सुझाव दे सकता है। जैसे

  • चेस्ट एक्सरे
  • ब्लड टेस्ट
  • सीटी स्कैन, आदि

व्हाइट फंगस का इलाज व बचाव
व्हाइट फंगस के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीफंगल मेडिसिन इस्तेमाल कर सकते हैं। आमतौर पर, एस्परगिलस के इलाज के लिए एंफोटेरिसिन-बी, वोरीकोनाजोल आदि ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, व्हाइट फंगस का एकदम पुख्ता बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन फिर भी कुछ हद तक एहतियात बरती जा सकती है। जैसे-

  • धूल-मिट्टी या गंदगी वाली जगह पर न जाना
  • मास्क का प्रयोग करना
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थ खाना
  • योगा व एक्सरसाइज

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्यीय सलाह का विकल्प नहीं है। हर बीमारी के निदान व इलाज के लिए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

 

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