श्रीडूंगरगढ टाइम्स 30 अप्रेल 2020। केन्द्र व राज्य सरकार करोडों रुपए के विज्ञापन लगा कर, अपने अधिकारियों, कर्मचारियों की टीम लगाकर और अधिकाधिक प्रचार प्रसार कर पूरे देश में जनता को बार बार हाथ धोने, साबुन से, सैनेटाईजर से 20 सेकेंड से अधिक समय तक हाथों को साफ करने की प्रेरणा दे रही है। लेकिन विडम्बना की बात है कि श्रीडूंगरगढ़ उपखण्ड मुख्यालय में यह सारी अपील, यह सारे प्रयास निष्फल हो रहे है क्योंकि यहां पर सरकार के ही एक विभाग की उदासीनता ने हाथ धोना तो दूर लोगों को पीने के पानी के लिए ही तरसा दिया है। श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स के माध्यम से क्षेत्र की जनता जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं जलदाय विभाग के अधिकारियों से यही गुहार लगा रही है कि “सुनो साहब, पेयजल को तरस रहा है श्रीडूंगरगढ़, पीने को नहीं पानी तो हाथ कहां से धोये जनता।“ अब देखना है कि अधिकारी कब सुनवाई कर व्यवस्थाओं में सुधार करवाते है या केवल लठ्ठ मार कर ही सोशल डिस्टेंस की पालना पर अड़े रहते है। कस्बे में लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंस की धज्जियां जलदाय विभाग की उदासीनता के कारण उड़ रही है एवं कस्बे के आडसर बास, बिग्गाबास, कालूबास में कई मोहल्ले बूंद बूंद पानी को तरस रहे है। ऐसे में इन क्षेत्रों की महिलाएं जैसे 20 साल पुराने युग में चली गई एवं निजी कुंओं से सर पर पानी ढोने के लिए लंबी लाईनों में लग रही है। यह चिंतनीय विषय है कि गर्मी अभी प्रारम्भ हुई है और कस्बे में पेयजल व्यवस्था पूर्णतया गड़बडा गयी है। कस्बे में एक दिन छोड़ कर एक दिन पानी दिया जाता है लेकिन इन मोहल्लों में तो पानी इतना कम दिया जा रहा है कि लोगों कीदैनिक आवश्यकताएं ही पूरी नहीं हो पा रही है। आड़सर बास के वार्ड 19 में पानी नहीं आने पर मौहल्लेवासियों द्वारा अपने अपने बर्तन लेकर जसनाथजी की बाडी में बने टयुबवैल पर लाइने लगाने की स्तिथि हो या बिग्गाबास के वार्ड 17-18 में पानी नहीं आने पर चिडपडनाथजी की बगीची में बने पुराने निजी टयुबवैल से पानी ढोने की कतारें हो या फिर कालूबास के वार्ड 2 में सनातन शमशान के कुंए पर लगने वाली महिलाओं के झूंड हो। हर मोहल्ले में ऐसे दृश्य क्षेत्र में जलदाय विभाग की विफलता एवं प्रशासनिक उदासीनता को जगजाहिर कर रहे है। श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स के पाठक उच्चाधिकारियों के समक्ष यही सवाल उठा रहे है कि क्या ऐसे लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंस रह पाएगा?
“हमनें कई बार जलदाय विभाग व उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराते हुए कस्बे में नियमित जलापूर्ति करने की मांग की है। लेकिन शायद विभागीय उदासीनता जनता को लॉकडाउन तोडने एवं सोशल डिस्टेंस छोडने को मजबूर कर रही है। कोरोना के खतरे के बीच यह लापरवाही शहर को मंहगी पड सकती है। प्रशासन को चाहिए कि केवल डंडे मार कर सख्ती से लॉकडाउन की पालना पर नहीं अड़ा रहे, व्यवस्थाएं भी सुधारे।”
मूलचंद स्वामी, पूर्व पार्षद एवं सामाजिक कार्यकर्ता, वार्ड 18