May 5, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 25 अप्रैल 2024। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के निवासियों को पिछले लंबे समय से गंभीर अपराधों का दंश झेलना पड़ रहा है। बदलते परिवेश, विघटित परिवार, घटते सामाजिक सौहार्द के दौर में अपराध भले ही हर जगह बढ़े है लेकिन श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ बढ़ने में बड़ी हिस्सेदारी यहां पर पुलिस नफरी के प्रति स्थानीय नेताओं, राज्य सरकार एवं अधिकारियों की उदासीनता की मानी जा रही है। विडम्बना ही है कि इस कमी के कारण जहां पीडितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से अपराधियों से जुड़ने पर नियंत्रण नहीं होने के कारण युवाओं की भी बड़ी खेप अपराध की दुनिया में प्रवेश कर रही है। पढ़ें इस गंभीर स्थिति का डरावना सच, श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स की स्पेशल इनवेस्टीगेशन रिपोर्ट में।
223% हुआ अपराधों में इजाफा, हालात चिंतनीय।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ में थाने का इतिहास शहर के बीच में पुराने थाने का खासा पुराना है। परंतु जब तक शहर के बीच में पुराने थाने में थाना संचालित था तब तक यहां सब इंस्पेक्टर पद का ही थानाधिकारी हुआ करता था। उस समय श्रीडूंगरगढ़ तहसील चूरू जिले की अन्य तहसीलों के मुकाबले शांत क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता था। वर्ष 2001 में श्रीडूंगरगढ़ के चूरू जिले से हट कर बीकानेर जिले में आने के साथ ही इस थाने का विस्तार किया गया। 2001 में नया थाना यहां बनाया गया तो सीआई रैंक के अधिकारी को थानाधिकारी बनाया गया एवं तीन सब इंस्पेक्टर, 14 एएसआई, 10 हैड कांस्टेबलों एवं 25 कांस्टेबलों की नफरी बनाई गई थी। उस वर्ष अपराधों का ग्राफ देखें तो पूरे वर्ष के 365 दिन में 381 मुकदमें हुए थे। इन 23 वर्षों में श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ बढ़ कर वर्ष 2023 में 850 मुकदमों का हो गया था। उस समय पूरी तहसील एक ही थाने के तहत थी और अब दो थानों में बंटी हुई है। यहां वर्ष 2023 में श्रीडूंगरगढ़ थाने में 679 एवं शेरूणा थाने में 171 मुकदमे हुए है। पूरे क्षेत्र का देखा जाए तो अपराधों ग्राफ यहां 223 प्रतिशत बढ़ा है परंतु नहीं बढ़ी तो थाने में स्वीकृत नफरी।

स्वीकृत पदों पर भी तैनाती नहीं, स्टाफ की कमी बनी कोढ़ में खाज।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में बढ़ते अपराधों को देखते हुए यहां पुलिस कार्मिकों के पदों की स्वीकृति भी बढ़नी चाहिए, यह आवाज तो इन दिनों क्षेत्र के सामाजिक संगठन एवं नेता उठा रहे है। लेकिन यह बड़ी विडम्बना है कि पद बढ़ाने तो दूर आज से 20 वर्ष पहले स्वीकृत पदों को भी यहां के लोगों ने लंबे समय से भरा हुआ नहीं देखा। श्रीडूंगरगढ़ थाने में लंबे समय बाद तीन एसआई के पद भरे हुए देखे जा रहे है, लेकिन दूसरी और एएसआई के स्वीकृत 14 पदों में 12 रिक्त पड़े है, इसी प्रकार हैड कांस्टेबल के स्वीकृत 14 पदों में 4 रिक्त पड़े है। हालांकि क्षेत्र में वर्ष 2012 में शेरूणा थाना और खोला गया था और वहां भी एएसआई के स्वीकृत 6 पदों में से 3, हैड कांस्टेबल के स्वीकृत 6 पदों में से 3 पद रिक्त पड़े है।

पुलिस उलझी कार्यालय में, युवा जुड़ रहे है अपराधों की दुनिया में।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में युवा लगातार अपराधों की दुनियां में जुड़ रहे है। क्षेत्र के अनेकों युवाओं को विभिन्न गैंगों के सोशल मीडिया प्रोफाईलों, पेजों, वाटसएप ग्रुपों में जुड़े होने, अपराधियों को लाईक, शेयर, उनके पक्ष में कमेंट करने के लिए 151 में गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं सीकर में राजू ठेहट को मारने वाले रोहित गोदारा गैंग के अपराधियों को पैसे पहुंचाने में यहां के युवाओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा भी क्षेत्र में कई गैंगों के गुर्गे सक्रिय है जो यहां के युवाओं को अपराधों की और आकर्षित कर रहे है। नशे का कारोबार भी यहां बेतहाशा बढ़ रहा है। इन युवाओं को अपराध के दलदल में फंसने से बचाने के लिए पुलिस भी क्षेत्र में सक्रिय नहीं नजर आती। क्योंकि जितनी पुलिस यहां तैनात है वह तो कार्यालय कर्मी बन कर थाने के कामों का निपटान करने में ही उलझे रहते है। स्टाफ की कमी के कारण ही यहां दर्ज होने वाले मुकदमों की तप्तीश में भी पूरा समय नहीं दे पाते है एवं क्षेत्र के अनेकों मामलों में परिवादी मामलों की जांच उच्चाधिकारियों से करवाने की गुहार लगाते हुए भी देखे जा सकते है। क्षेत्र के सामाजिक चिंतकों का कहना है कि पुलिस केवल थाने तक ही सिमित रहेगी तो भले ही घटित हो चुके अपराधों में अपराधियों की धरपकड़ कर ले लेकिन समाज में अपराध एवं अपराधियों की कमी नहीं ला पाएगें।

सोशल मीडिया का दंश हो या ट्रैफिक व्यवस्था, नहीं है कोई सुनवाई करने वाला।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। बढ़ते इंटरनेट के कारण क्षेत्र में बड़ी संख्या में सोशल मीडिया, इंटरनेट से जुड़े अपराध भी सामने आ रहे है एवं युवाओं को भी अपराध से जोड़ने में सोशल मीडिया सबसे बड़ा रास्ता बन गया है। इसके अलावा विभिन्न जातीय, धार्मिक टिप्पणियों का दंश भी क्षेत्रवासी कई बार झेल चुके है लेकिन इन सब पर नियंत्रण के लिए पुलिस के पास स्टाफ तक नहीं है। हालात यह है कि हर दिन थाने में आनलाइन ठगी, ब्लैकमेलिंग के शिकार लोग पहुंच रहे है और पुलिस अपने स्तर पर हर संभव प्रयास भी कर रही है। लेकिन ऐसे अपराधियों के चंगुल में फंसने से बचने का संदेश, प्रशिक्षण आम जन को दे सके उसके लिए पुलिस के पास स्टाफ ही नहीं है। यही हाल क्षेत्र की ट्रेफिक व्यवस्था का है, क्योंकि वर्ष 2001 में थाना बना था तब यहां ट्रेफिक जाम की समस्या ही नहीं थी। उस समय ट्रैफिक कर्मियों के पद ही स्वीकृत नहीं किए गए। लेकिन इन 20 वर्षों से क्षेत्र में कई गुना आबादी व कई गुना वाहन बढ़ने के कारण कस्बे के बाजार में हर दिन कई कई बार जाम के हालात बन रहे है। इन हालातों से परेशान क्षेत्रवासियों की सुनवाई करने वाला कोई नजर ही नहीं आ रहा।

एक्ट के मामले भी बने खानापूर्ति, टारगेट पर ध्यान, शहर में पोपा बाई का राज।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ में तैनात पुलिसकर्मियों की श्रम-शक्ति तो बस अपने टारगेट पूरे करने में ही खर्च हो जाती है तो क्षेत्र में अपराधों पर नियंत्रण, अपराधियों में भय-आमजन में विश्वास की राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य धरा ही रह जाता है। यहां नजर उठा कर देखा जाए तो जुए, सट्टे, शराब आदि एक्ट की कार्रवाईयों में स्थाई रूप से स्क्रिप्टेड सा मामला नजर आता है। 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक का सट्टा पकड़ने, 48 पव्वों की तस्करी पकड़ने जैसे मामले साफ जाहिर कर रहे है कि पुलिस केवल अपने टारगेट को पूरे करने में जुटी हुई है। वहीं शहर के साथ साथ गांवों में शराब की अवैध ब्रांचें, अनेकों ढाबे-होटल, ज्यूस सेंटरों का शाम होते ही अवैध बार में बदल जाने, जुआ सट्टा भी धल्लड़े से चलने, क्रिकेट बुकी के माध्यम से शहर से युवाओं को कर्ज में धकेलने जैसे कृत्य हर मोड़ पर देखने को मिल रहे है। क्षेत्रवासी परेशान है कि यहां स्टाफ की तैनाती ही इस कदर कम है कि उलाहना भी किसे दें और शिकायत भी किसकी की जाए।

होमगार्डों के भरोसे रात्रि सुरक्षा।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। क्षेत्र में नफरी की कमी में होमगार्डों की तैनाती आंशिक राहत दे रही है। यहां पिछले समय से रात्रि गश्त के साथ साथ विभिन्न प्रमुख स्थलों पर होमगार्डों की तैनाती की जा रही है।

यह है मानक।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। राज्य एवं देश के पुलिस सिस्टम की बात करें तो आदर्श स्थिति यह है कि प्रत्येक 75 हजार की आबादी के बीच 1 थाना एवं प्रत्येक 450 लोगों पर एक पुलिसकर्मी होना चाहिए। लेकिन वास्तविक हालात आदर्श स्थिति से इतने विपरित है कि अपराधों पर नियंत्रण तो बस सपना ही बन कर टूट रहा है। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में करीब 4 लाख की आबादी है लेकिन थाने दो ही है। इसी प्रकार यहां कुल तैनाती पुलिसकर्मियों की है जिनमें अस्थाई रूप से लगाए जा रहे होमगार्डों को भी शामिल कर दिया जाए तो हजारों लोगों पर एक पुलिसकर्मी तैनात पाया जाएगा।

चौकियां बंद, थाने का काम ही लंबित, संसाधनों का अभाव।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। अपराधों के बढ़ते दौर में स्टाफ की कमी के साथ संसाधनों की चौकियों पर कमी कोढ में खाज का काम कर रही है। यहां श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में बनी पुलिस चौकियां तो जैसे नाम मात्र की मौजूदगी बन कर रह गई है। श्रीडूंगरगढ़ कस्बा चौकी में तो लंबे समय से कोई स्टाफ तैनात तक ही नहीं किया जा रहा। वहीं शेरूणा थाने के तहत भी बापेऊ एवं सूडसर चौकी बस नाम मात्र की सुरक्षा व्यवस्था बन कर सिमित हो गई है। मोमासर चौकी पर पुलिस कर्मी तैनात संख्या अनुपात में तो ऊंट के मुंह में जीरे का काम कर रही है। वहीं सबसे बड़ी ग्राम पंचायत होने पर भी यहां पुलिसकर्मियों के पास कोई संसाधन ही नहीं है जिससे वे मौका मुआयना भी समय पर नहीं कर पाते। पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव इतना है कि थाने के काम ही लंबित देखने को मिल रहे है।

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