श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 3 मई 2019। श्रीडूंगरगढ़ तहसील के गांव राणासर के ग्रामीणों ने लंबे समय से की जा रही गांव की उपेक्षा से आहत होकर आगामी लोकसभा चुनावों में मतदान बहिष्कार का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने गांव की गुवाड में आम सभा आयोजित की और प्रशासन, सरकारों व सभी राजनैतिक दलों पर छोटा गांव होने के कारण गांव की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने गांव के आस पास अन्य गांवों का विकास होने के बाद भी राणासर को पिछडा छोडने के विरोध में सर्वसम्मति से मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे शतप्रतिशत मतदान अभियान की सफलता कहां तक संभव होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। यह विडम्बना ही है कि आजादी के 70 वर्ष निकल जाने के बाद भी इस गांव में आज तक सरकारों द्वारा स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नहीं करवाया जा सका है। गांव में एकमात्र पेयजल कुंआ है एवं वह भी फ्लोराईड युक्त पानी होने के कारण ग्रामीणों को बिमारियां दे रहा है। चुनाव आयोग द्वारा भले ही आदर्श बूथ, पिंक बूथ आदि के नाम पर करोडों रुपए बहा दिए जा रहे लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित राणासर में तो बने हुए बूथ को ही हटा दिया गया है। यहां के ग्रामीण लंबे समय से गांव में स्थित बूथ में ही सभी चुनावों में मतदान किया करते थे लेकिन गत विधानसभा चुनावों में प्रशासन द्वारा गांव का बूथ हटाते हुए चार किलोमीटर दुर जाखासर पुराना गांव में बूथ बना दिया गया। ऐसे में इस भीषण गर्मी में इस गांव के 650 से अधिक मतदाताओं ने मतदान करने के बजाए मतदान बहिष्कार का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने इस संबध में शुक्रवार को सैंकडों हस्ताक्षरों से युक्त ज्ञापन ब्लाक निर्वाचन अधिकारी को दिया है एवं अपनी मांगें भी रखी है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने गांव में मतदान बूथ पुन: स्थापित करने, गांव में नया टयुबवैल खुदवा कर खारे पानी से निजात दिलवाने एवं राणासर से सोनियासर मिठिया तक पक्की सडक बनवाने की मांगें की है।
उपखण्ड अधिकारी ने की समझाईश।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। राणासर के ग्रामीणों का आक्रोश देखते हुए उपखण्ड अधिकारी एवं ब्लाक निर्वाचन अधिकारी रामरख मीणा ने समझाईश का प्रयास किया। मीणा ने इस चुनाव में शत प्रतिशत मतदान की अपील करते हुए आठ मई को पुन: आने को कहा एवं आगामी चुनावों में मतदान बूथ पुन: राणासर में ही बनवा देने का आश्वासन दिया। मीणा ने सडक एवं टयुबवैल निर्माण के लिए भी सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं जलदाय विभाग को प्रस्ताव भेजने की बात कही। लेकिन ग्रामीण नहीं माने एवं मतदान नहीं करने की चेतावनी देकर चले गए।
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