श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 18 अगस्त 2021।🚩श्री गणेशाय नम:🚩
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
📜 आज का पंचांग 📜
☀ 18 – Aug – 2021
☀ Sri Dungargarh, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि एकादशी 25:07:49
🔅 नक्षत्र मूल 24:07:44
🔅 करण :
वणिज 14:15:06
विष्टि 25:07:49
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग विश्कुम्भ 21:08:37
🔅 वार बुधवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 06:05:03
🔅 चन्द्रोदय 15:56:59
🔅 चन्द्र राशि धनु
🔅 चन्द्र वास पुर्व
🔅 सूर्यास्त 19:10:15
🔅 चन्द्रास्त 26:22:00
🔅 ऋतु वर्षा
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1943 प्लव
🔅 कलि सम्वत 5123
🔅 दिन काल 13:05:11
🔅 विक्रम सम्वत 2078
🔅 मास अमांत श्रावण
🔅 मास पूर्णिमांत श्रावण
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित कोई नहीं
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 12:11:29 – 13:03:50
🔅 कंटक 17:25:34 – 18:17:55
🔅 यमघण्ट 08:42:06 – 09:34:27
🔅 राहु काल 12:37:40 – 14:15:49
🔅 कुलिक 12:11:29 – 13:03:50
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 06:57:24 – 07:49:45
🔅 यमगण्ड 07:43:12 – 09:21:22
🔅 गुलिक काल 10:59:31 – 12:37:40
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल उत्तर
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन
📜 चोघडिया 📜
🔅लाभ 06:05:03 – 07:43:12
🔅अमृत 07:43:12 – 09:21:22
🔅काल 09:21:22 – 10:59:31
🔅शुभ 10:59:31 – 12:37:40
🔅रोग 12:37:40 – 14:15:49
🔅उद्वेग 14:15:49 – 15:53:58
🔅चल 15:53:58 – 17:32:07
🔅लाभ 17:32:07 – 19:10:16
🔅उद्वेग 19:10:15 – 20:32:10
🔅शुभ 20:32:10 – 21:54:05
🔅अमृत 21:54:05 – 23:16:00
🔅चल 23:16:00 – 24:37:55
🔅रोग 24:37:55 – 25:59:50
🔅काल 25:59:50 – 27:21:45
🔅लाभ 27:21:45 – 28:43:40
🔅उद्वेग 28:43:40 – 30:05:35
❄️लग्न तालिका ❄️
🔅 सिंह स्थिर
शुरू: 06:03 AM समाप्त: 08:20 AM
🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 08:20 AM समाप्त: 10:36 AM
🔅 तुला चर
शुरू: 10:36 AM समाप्त: 12:55 PM
🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 12:55 PM समाप्त: 03:14 PM
🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: 03:14 PM समाप्त: 05:18 PM
🔅 मकर चर
शुरू: 05:18 PM समाप्त: 07:01 PM
🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: 07:01 PM समाप्त: 08:30 PM
🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: 08:30 PM समाप्त: 09:55 PM
🔅 मेष चर
शुरू: 09:55 PM समाप्त: 11:31 PM
🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 11:31 PM समाप्त: अगले दिन 01:27 AM
🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: अगले दिन 01:27 AM समाप्त: अगले दिन 03:42 AM
🔅 कर्क चर
शुरू: अगले दिन 03:42 AM समाप्त: अगले दिन 06:03 AM
पुत्रदा एकादशी
हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का बेहद महत्व बताया गया है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ऐसी ही श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी संतान प्राप्ति के लिए पूजा व्रत आदि करता है उसे संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है, इसलिए इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। महिलाएं इस व्रत में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। केवल संतान प्राप्ति के लिए ही नहीं बल्कि संतान की रक्षा के लिए भी इस व्रत का बेहद महत्व बताया गया है।
📜व्रत कथा📜
बहुत समय पहले की बात है भद्रावती नगर में सुकेतु नाम का एक राजा हुआ करता था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। उन दोनों के जीवन में सब कुछ होने के बावजूद संतान न होने की वजह से दोनों पति पत्नी दुखी रहने लगे थे। एक दिन दुखी मन से राजा और रानी ने मंत्री को राजपाट सौंपा और खुद वन को चले गए। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार भी आने लगा लेकिन, तभी राजा को यह एहसास हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर इस दुनिया में कोई और पाप नहीं होता है। तभी अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई देने लगे और फिर राजा रानी उसी दिशा में बढ़ते चले गए जिधर से उन्हें वेद पाठ का स्वर आ रहा था। कुछ आगे चलते हुए उन्हें साधु मिले। साधु के पास पहुंचने पर राजा रानी ने पूछा कि आप लोग किस की पूजा कर रहे हैं तो साधु ने बताया कि हम पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे हैं। यहां पर राजा रानी को पुत्रदा एकादशी का महत्व पता चला। इसके बाद दोनों ने अगली पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसी के प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि, इसके बाद से ही पुत्रदा एकादशी का महत्व माना जाने लगा। ऐसे में जो कोई भी निसंतान दंपत्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक और विधि विधान से इस दिन का व्रत पूजन उपवास करता है उन्हें संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है।
❄️संतान प्राप्ति के उपाय❄️
यदि आप भी संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो हम आपको नीचे कुछ अन्य उपाय भी बता रहे हैं, जिन्हें करने से आपको संतान प्राप्ति से संबंधित शुभ समाचार प्राप्त होने के योग बन सकते हैं।
जैसा कि ऊपर बताया गया है संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। यह जाप प्रतिदिन नियम पूर्वक करें और यदि संभव हो तो किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा इसका पुरश्चरण कराएं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें और इस दिन से लेकर कम से कम 11 एकादशी व्रत का संकल्प लेकर उसका पालन करें।
लाल गाय और लाल बछड़े की सेवा करने से दंपत्ति को संतान प्राप्ति हो सकती है।
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को अपने गले में केले के पेड़ की जड़ धारण करनी चाहिए। इसे बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग के धागे में पहना जा सकता है।
यदि पति पत्नी के लिए शारीरिक समस्याओं के कारण संतान प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो शुक्र के बीज मंत्र ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करना चाहिए।
संतान प्राप्ति के उपाय के रूप में बृहस्पतिवार का व्रत किया जाना भी फलदायक साबित होता है।
वृंदावन के श्री राधा कुंड में रात्रि 12 बजे युगल दंपत्ति को स्नान करना चाहिए और सीताफल (कद्दू) का दान करना चाहिए। इससे भी संतान प्राप्ति के शुभ समाचार प्राप्त होते हैं।
चांदी का तार लेकर उसको आग में जलाएं उसके बाद उसी तार को दूध में डालकर उस दूध को पी जाएं। ऐसा 40 दिन लगातार करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हो सकती है।
विधि पूर्वक 32 पूर्णमासी का व्रत करने से भी संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
अपने घर में बाल कृष्ण की नटखट लीलाओं वाली तस्वीर लगाएं। प्रतिदिन सुबह शाम इसको निहारें तथा उन्हें माखन – मिश्री का भोग लगाकर स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
संतान प्राप्ति की कामना वाले पुरुष को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए।
विवाह की कामना रखने वाले युगल दंपत्ति को बृहस्पतिवार के दिन पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए और अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष पर दूध और काले तिलों को मिलाकर जल चढ़ाना चाहिए।
बांस के वृक्ष की पूजा करने से भी वंश वृद्धि की सौगात मिल सकती है।
पं. विष्णुदत्त शास्त्री {8290814026}