जानें किस धातु के बर्तन से क्या प्रभाव पड़ता सेहत पर, जीवन में आजमाए और स्वस्थ रहें।





श्रीडूंगरगढ टाइम्स 29 अप्रेल 2020। हेल्दी डाइट के लिए केवल अच्छा अनाज, ताजे फल-सब्जियों की ही जरूरत नहीं बल्कि उसे किस बर्तन में पकाया या परोसा जा रहा है। यह भी जरूरी है, जानते हैं किस बर्तन के उपयोग से क्या फायदे और नुकसान होता हैं।

तांबा- इसके बर्तन में रात में रखा पानी सुबह खाली पेट पीने के कई फायदे हैं। यह पाचक की तरह काम करता है। लेकिन सर्दी के दिनों में ऐसा न करें। सर्दी जुकाम हो सकता। इसमें गर्म चीजें न रखें।

फायदा- नेत्र रोगों में फायदेमंद, स्मरण शक्ति बढ़ती है। पेट साफ रहने के साथ लिवर संबंधी परेशानी से बचाव होता है। खून साफ होता है।

नुकसान- इसमें दूध नहीं पीना चाहिए। 12 घंटे से ज्यादा समय तक पानी न रखें, इससे अच्छे बैक्टीरिया भी मरते हैं। सफाई का ध्यान रखें।

स्टील- यह एक मिश्रित धातु है जो लोहे में कार्बन, क्रामियम और निकिल मिलाकर बनाया जाता है। सस्ते बर्तनों में इसे सबसे अच्छा माना जाता है।

फायदा- यह कम आंच पर जल्दी गर्म हो जाता है जिसमें खाने में पौष्टिकता का नुकसान कम होता है। रिएक्शन भी रिएक्शन भी बहुत कम होता है।

नुकसान- ज्यादा घिसने के बाद क्रामियम और निकिल दिखता है जो पेट संबंधी बीमारियां कर सकता है। अंदर की सतह घिसने पर बदल दें।

एल्युमिनियम- यह एल्युमिनियम बॉक्साइट से बनते हैं। इसके कुकर में खाना पकाने से सबसे ज्यादा पोषक तत्वों का नुकसान होता है। इसके बर्तनों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

फायदा- सस्ता, जल्दी खाना पकता और सफाई आसानी से हो जाती है।

नुकसान – कैल्शियम व आयरन सोख लेने से हडिडयां कमजोर होती हैं मानसिक, लिवर, किडनी, पेट संबंधी, अस्थमा, शुगर आदि बीमारियां का खतरा बढ़ता हैं। इसमें चाय, दूध, चटनी, कढ़ी आदि बनाने से बचें।

मिट्‌टी- इसके बर्तन को सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें खाना बनाने से शरीर के लिए जरूरी 18 सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। खाने की पौष्टिकता भी बची रहती है। दही-दूध के लिए इसके बर्तनों का उपयोग जरूर करें।

फायदा- अलग से माइक्रो न्युट्रीएंट्स की जरूरत नहीं। कालेस्ट्रॉल में फायदेमंद। पाचन अच्छा और खाना ज्यादा देर तक गर्म रहता है।

नुकसान- दूषित मिट्‌टी से बने बर्तनों से पाचन संबंधी परेशानी होती।

चांदी- यह एक ठंडी धातु है, जो शरीर को अंदर से ठंडक पहंचाकर शांत रखती है। किटाणुनाशक भी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक होते हैं जिसमें इम्युनिटी बढ़ती है। संक्रामक रोगों से भी बचाव होता है।

फायदा- दिमाग तेज होता, आंखों की रोशनी बढ़ती है। पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है। इसमें रखा भोजन-पानी ताजा रहता है। बैक्टीरिया कम पनपते हैं। चांदी के गिलास में पानी पीना चाहिए।

नुकसान- खट्‌टी चीजों को रखने से बचें। एसिडिटी की समस्या हो सकती।

लोहा- इसमें भोजन बनाने और खाने से कई तरह के फायदे हैं लेकिन इसमें सफाई का विशेष ध्यान देना होता है। लेकिन बर्तन कच्चे लोहे के बने होने चाहिए।

फायदा- आयरन की बढ़ोतरी होती, शरीर में सूजन व पीलिया से बचाव होता है। लिवर के रोगों में फायदेमंद। इसमें दूध पीने और खट्‌टी चीजें बनाने से अधिक मात्रा में आयरन शरीर को मिलता है।

नुकसान- ज्यादा देर खाना रखने से बैक्टीरिया पनपते लगते है।

कांसा- कांसे में कई धातु मिले होते हैं। इसलिए इससे शरीर को माइक्रो न्यूट्रीएंट्स भी मिलते हैं। इसमें खट्‌टी चीजें इसमें विषैली हो जाती हैँ।

फायदा- बुद्धि तेज होती और खून भी साफ होता है। भूख भी अधिक लगती है। यह कफनाशक भी है। इसमें खाना परोसना अच्छा होता है।

नुकसान- इसमें खट्‌टी खाने से ऑटो इम्युन डिजीज हो सकती है। इसके बाद से इम्युनिटी बढ़ने की जगह घटने लगती है।

नॉन स्टिक- नॉन स्टिक बर्तनों की खास बात यह है कि इनमें बहुत कम तेल पर भी खाना अच्छे से पक जाता है। इनमें खाना चिपकता नहीं है।

फायदा- तेल कम लगता, खाना जल्दी पकता है। फैट नहीं बढता।

नुकसान- इसमें कई कैमिकल्स की कोटिंग होती है। खुरचने पर ये कैमिकल्स भोजन के साथ पेट में जाकर बीमारियां कर सकते है।