


श्रीडूंगरगढ टाइम्स 26 फरवरी 2020। जो समय के साथ नहीं बदलता समय उसे नष्ट कर देता है आज भी गीता का ये ज्ञान समाज में प्रासंगिक ही है। आज समाज की कुरूतियों के खिलाफ खड़े होने का समय भी है और दरकार भी। आज किसी भी समाज के नेता दहेज लेना बंद करने की बात करते तो नजर आ जाते है पर जब स्वयं के लेने की बारी आती है तो चुपचाप गाड़ियाँ तक ले आते है और इसे अपनी शान भी समझते है। इसके उलट सारस्वत समाज के अगुवा बजरंगलाल औझा ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ की बात तो समाज के मंच पर कही और दहेज नहीं लेने की सीख भी समाज को दी।


25 फरवरी 2020 को सारस्वत समाज श्रीडूंगरगढ़ के अध्यक्ष ओर सेवानिवृत्त शिक्षक बजरंगलाल जी ने अपने पोते राहुल का विवाह देराजसर निवासी मदनलाल सारस्वा की सुपुत्री सोनिया से सम्पन्न करवाया और वह भी बिना दहेज के। बिना दहेज का अर्थ भी लोग सामान्य तौर पर बाटका में नकद नहीं लेना ही मानते है पर आज बजरंगलाल जी ने अपने पोते का विवाह बिना दहेज मतलब बाटका ही नहीं, बल्कि कुछ भी नहीं लिया। सारस्वत समाज ही नहीं सभी समाजों के लिए प्रेरणीय, अनुकरणीय शुरुआत है। सारस्वत ने कहा कि समाज के वर्तमान हालात देखते हुए सभी को यह निर्णय लेना चाहिए कि घर में संस्कारवान बेटी आ जाए, धन की चाह नहीं रखे तो घर स्वर्ग बन सकता है। लंबे समय तक श्रीडूंगरगढ़ के हाईस्कूल में बतौर शिक्षक सेवाएं देने के दौरान भी सारस्वत ने सदैव समाज सुधार की प्रेरणा अपने विद्यार्थियों को दी। सारस्वत वर्तमान में गायत्री परिवार से भी जुड़े हुए है और समग्र समाज मे सामाजिक बुराइयां दूर करने की प्रेरणा दे रहे है। इस विवाह के बाद सारस्वत समाज के लोगों के साथ अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी उन्हें फोन कर बधाई दे रहे है और इस नेक विचार के लिए आभार जता रहें है। गांव के सरपँच जसवीर सारण ने गुरुजी के इस निर्णय से गांव का मान बढ़ने की बात कही है। भाजपा मंडल अध्यक्ष बजरंग लाल सारस्वा ने गुरुजी के इस निर्णय से पूरे समाज को प्रेरणा मिलने की बात कही है।