सोशल इंजीनियरिंग हावी रहेगी यूपी के तीसरे चरण में




श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 19 जनवरी 2022। शुक्रवार शाम यूपी के तीसरे चरण की वोटिंग का प्रचार थम गया। ये चरण काफी हद तक यूपी की राजनीतिक तस्वीर को साफ कर देगा। इसीलिए इस चरण में भाजपा और सपा गठबंधन ने यहां पूरी ताकत लगाई। पिछले दो चरणों की तुलना में दोनों तरफ से की गई रैलियों से अधिक रैलियां इस चरण में हुई।
बुंदेलखंड की सीटों पर दोनों तरफ का ज्यादा जोर रहा। इस जिले में सपा सदा कमजोर रही है, इसलिए ज्यादा प्रयास किये गये। कांग्रेस के लिए तो हर चुनाव में बुंदेलखंड टारगेट पर रहता है। राहुल गांधी का इस क्षेत्र से विशेष लगाव रहा है। हालांकि इस बार भी उसे यहां से अधिक सीटें नहीं मिलेगी मगर उसका वोट प्रतिशत जरूर बढ़ेगा। जिसका असर भाजपा पर पड़ेगा। सपा रालोद गठबंधन की पूरी उम्मीद कांग्रेस को मिलने वाले वोटों पर है क्योंकि उसी से भाजपा का गणित बिगड़ेगा और सपा को उम्मीद जगेगी।
भाजपा ने भी यहां ज्यादा रैलियां और डोर टू डोर संपर्क कर अपनी साख बचाने की कोशिश की है। अमित शाह के अलावा योगी भी इस इलाके में अधिक सक्रिय है। मगर भाजपा उम्मीदवारों को इस चरण में भी किसानों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान नेता राकेश टिकेत भी इस इलाके में घूमे हैं और किसानों को एक संदेश दिया है। किसान आंदोलन के कारण भाजपा को पहले दो चरणों की तरह तीसरे चरण में भी परेशानी हो रही है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि किसान आंदोलन इतना असर डालेगा, ये भाजपा को अंदाजा नहीं था। महंगाई, बेरोजगारी और कोरोनकाल तो भाजपा के लिए पहले से ही परेशानी खड़े किए हुए हैं।
इन हालात को देखते हुए ही भाजपा ने अपने चिर परिचित मुद्दे छोड़ यहां सोशल इंजीनियरिंग के जरिये जातियों को साधने की पूरी कोशिश की है। जाट, मुस्लिम, यादव तो नाराज है ही, इस बार ब्राह्मण मतदाता भी भाजपा को तेवर दिखा रहा है। इस मतदाता को साधने के लिए भाजपा ने अपनी शक्ति लगाई है।
बुंदेलखंड का इलाका विकास को तरस रहा है इसलिए मतदाता ने चुप्पी साधी हुई है। उसकी चुप्पी सभी दलों को परेशान किये हुए है। इस चरण का रुख दोनों दलों के लिए खास महत्त्व रखता है, क्योंकि उसी से यूपी का रण कौन जीतेगा, ये तय सा हो जायेगा।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार