May 4, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 मार्च 2023।  🚩श्री गणेशाय नम:🚩 शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

📜 आज का पंचांग 📜

☀ 30 – Mar – 2023
☀ Sri Dungargarh, India

☀ पंचांग
🔅 तिथि नवमी 11:32 PM
🔅 नक्षत्र पुनर्वसु 10:59 PM
🔅 करण :
बालव 10:19 AM
कौलव 10:19 AM
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग अतिगंड +01:01 AM
🔅 वार गुरूवार

☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 06:27 AM
🔅 चन्द्रोदय 12:43 PM
🔅 चन्द्र राशि मिथुन
🔅 सूर्यास्त 06:50 PM
🔅 चन्द्रास्त +03:11 AM
🔅 ऋतु वसंत

☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1945 शोभकृत
🔅 कलि सम्वत 5124
🔅 दिन काल 12:23 PM
🔅 विक्रम सम्वत 2080
🔅 मास अमांत चैत्र
🔅 मास पूर्णिमांत चैत्र

☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 12:14:03 – 13:03:36
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 10:34 AM – 11:24 AM
🔅 कंटक 03:32 PM – 04:21 PM
🔅 यमघण्ट 07:16 AM – 08:06 AM
🔅 राहु काल 02:11 PM – 03:44 PM
🔅 कुलिक 10:34 AM – 11:24 AM
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 05:11 PM – 06:00 PM
🔅 यमगण्ड 06:27 AM – 08:00 AM
🔅 गुलिक काल 09:33 AM – 11:05 AM
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल दक्षिण

☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर

📜 चोघडिया 📜

🔅शुभ 06:27:15 – 08:00:09
🔅रोग 08:00:09 – 09:33:02
🔅उद्वेग 09:33:02 – 11:05:56
🔅चल 11:05:56 – 12:38:49
🔅लाभ 12:38:49 – 14:11:43
🔅अमृत 14:11:43 – 15:44:36
🔅काल 15:44:36 – 17:17:30
🔅शुभ 17:17:30 – 18:50:23
🔅अमृत 18:50:23 – 20:17:22
🔅चल 20:17:22 – 21:44:20
🔅रोग 21:44:20 – 23:11:18
🔅काल 23:11:18 – 24:38:16
🔅लाभ 24:38:16 – 26:05:14
🔅उद्वेग 26:05:14 – 27:32:12
🔅शुभ 27:32:12 – 28:59:10
🔅अमृत 28:59:10 – 30:26:08

❄️ लग्न तालिका ❄️

🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: 05:48 AM समाप्त: 07:13 AM

🔅 मेष चर
शुरू: 07:13 AM समाप्त: 08:49 AM

🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 08:49 AM समाप्त: 10:45 AM

🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: 10:45 AM समाप्त: 01:00 PM

🔅 कर्क चर
शुरू: 01:00 PM समाप्त: 03:20 PM

🔅 सिंह स्थिर
शुरू: 03:20 PM समाप्त: 05:38 PM

🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 05:38 PM समाप्त: 07:54 PM

🔅 तुला चर
शुरू: 07:54 PM समाप्त: 10:13 PM

🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 10:13 PM समाप्त: अगले दिन 00:32 AM

🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: अगले दिन 00:32 AM समाप्त: अगले दिन 02:36 AM

🔅 मकर चर
शुरू: अगले दिन 02:36 AM समाप्त: अगले दिन 04:19 AM

🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: अगले दिन 04:19 AM समाप्त: अगले दिन 05:48 AM

🌺।। आज का दिन मंगलमय हो ।।🌺

गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।

गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अत्यन्त फलदाई है।

🚩🚩नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और मनोहारी है, मां की चार भुजाएं हैं। मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख सुशोभित है। माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।

मां सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाया जाता है। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि की नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।

❄️ राम नवमी विशेष ❄️

आज रामनवमी का महा पर्व है । यह पर्व अत्यंत प्राचीन काल से ही पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।

शास्त्रो के अनुसार त्रेतायुग में चैत्र माह की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में भगवान श्री विष्णु जी ने राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या को गर्भ से राम के रूप में जन्म लिया। तभी से उस शुभ तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाने लगा ।

मान्यता है कि राम नवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

इस दिन रामायण का पाठ करने से अक्षय पूण्य मिलता है अगर रामायण का पाठ संभव ना हो तो सुन्दर कांड अवश्य ही पढे ।

रामनवमी के दिन रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करने से जीवन के कष्ट, संकट दूर होते हैं।

इस दिन भगवान राम के दर्शन और उनकी मूर्ति को फूल-माला से सजाने से जीवन में सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।

इस दिन भगवान राम को तुलसी अवश्य ही चढ़ाएं । तत्पश्चात राम रक्षा स्रोत्र का पाठ करे अंत में आरती करके प्रशाद वितरित करें ।

पण्डित विष्णुदत्त शास्त्री
8290814026

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!