May 4, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 24 जून 2021। आनंद बालासन योग हमारे भीतर मौजूद ऊर्जाओं को सक्रिय, जागृत और नियंत्रित करता है। यह आसन मन को भी जागृत करता है और उसे उच्च जागरूकता और चेतना के स्तर पर लाता है। यह शरीर को ध्यान की स्थिति में जाने के लिए तैयार करता है। आनंद बालासन करने वाला व्यक्ति उस प्रकार दिखाई देता है जिस तरह बच्चे अपने पैरों के साथ खेलते हैं।

आनंद बालासन को करने की विधि
1.आनंद बालासन को करने के लिए एक आसन पर पीठ के बल लेट जाए और गहरी साँस ले।
2 इसके बाद सांसो को छोड़ते हुए घुटनों को पेट के पास लेकर आये।
3.अब सांस लेते हुए अपने पैरों के तलवे को हाथों से पकडे और इसे धीरे- धीरे करके ऊपर की तरफ ले जाए।
4.ध्यान रखें कि घुटने छाती के साइड से लगे हुए हो। साथ ही टखने घुटने की सीध में रहे।
5.दोनों घुटने के मध्य में थोड़ी दूरी बनाये रखे जैसा की चित्र में दिखाया गया है|
6.इसके बाद धीरे से अपने पैरों को ऊपर की तरफ धक्का दे और हाथ को नीचे की तरफ खींचते हुए एक प्रतिरोध पैदा कर मांसपेशियों में तनाव को महसूस करे।
7.सांस लेते हुए इस आसन को 20 से 30 सेकंड तक सामान्य तरह से करे, फिर धीरे धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाए।
आनंद बालासन के दौरान सावधानियां
1.अगर गर्दन और घुटने में चोट लगी है तो इस आसन को न करे।
2.ध्यान रखे की इस आसन को करते समय जमीन समतल होनी चाहिए।
3.महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान और गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास करने से बचना चाहिए।

आनंद बालासन के फायदे
1.आनंद बालासन को प्रतिदिन करने से कमर के निचले हिस्से को आराम मिलता है।
2.यह आसन कंधों, कमर और छाती को खोलने में भी सहायता करता है।
3.यह आसन पाचन क्रिया को भी मजबूत करता है और पेट की समस्या में फायदेमंद है|
4.आनंद बालासन को रोज करने से पीठ में उत्पन्न तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
5.यह आसन पीठ और रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है और गले के भीतरी हिस्से, आंतरिक जांघों और हैमस्ट्रिंग को भी स्ट्रेच करने में सहायक होता है।

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