श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 11 जनवरी 2020। श्रीडूंगरगढ़ कृषि उपज मंडी समिति प्रांगण में क्रय विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से सरकार द्वारा किसानों से सर्मथन मुल्य पर मूंगफली की खरीद की जा रही है। लेकिन यह खरीद में सिस्टम की बदहाली के कारण क्षेत्र के किसानो को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खरीद एंजेसी द्वारा 200 किसानों की मूंगफली प्रतिदिन खरीद कर पाने में स्वंय को सक्षम बताते हुए खरीद ठेका लिया गया था। और आनलाईन प्रतिदिन 200 किसानों के पास खरीद का मैसेज पहुंचा कर उन्हे अपनी उपज लेकर आने को कहा जाता है। लेकिन आफलाईन रूप से वास्तविक खरीद करने के मौके पर खरीद एंजेसी प्रतिदिन 200 किसानों की खरीद नहीं कर पा रही है। ऐसे में किसानो की लंबी कतारें खरीद स्थल से मंडी के बाहर सड़क पर किलोमीटरों तक लग रही है। अपने खेत से उपज लेकर आने वाले किसान यहां आने के बाद खरीद की धीमी प्रक्रिया से खासे परेशान हो रहे है। किसानों को दो से चार दिनों तक मंडी में ही रहना पड़ रहा है। सर्मथन मुल्य पर खरीद करवाने वाले किसानों की कतारों के कारण मंडी में अपनी उपज लेकर आने वाले अन्य किसान व व्यापारी भी खासे परेशान हो रहे है। अनाज मंडी व्यापार संघ अध्यक्ष श्यामसुंदर पारीक ने बताया कि इस संबध में कई बार प्रशासन को अवगत करवाते हुए मंडी व्यापारियों एवं किसानों की इस समस्या का समाधान करने की मांग की गई है। लेकिन खरीद एंजेसी पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं होने से किसान परेशान हो रहे है। एक किसान ने नाम नहीं देने की शर्त पर बताया कि खरीद एंजेसी द्वारा जान बुझकर धीमी तुलवाई की जा रही है ताकी किसान दो-तीन दिन मंडी में बिताने के बाद परेशान होकर उन्हें भ्रष्टाचार करवा दे।
समस्याओं के अंबार, किसानों के हौंसले अपार।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पुराने समय से एक कहावत चलती आ रही है कि जड़ में धरा (भूमि) और जीव में धरा-पुत्र(किसान) सबसे अधिक सहनशील होते है एवं इन दोनो को भले कोई कितना भी कष्ट दे यह जीवनदायी ही बनते है। इन दिनों सर्मथन मूल्य पर मूंगफली की सरकारी खरीद करवाने वाले श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के किसान इस कहावत को चरितार्थ कर रहे है। मूंगफली बिजान के समय बिजली कटौती, युरिया किल्लत, लट का प्रकोप, बारिश की कमी आदि समस्याओं से झुझते हुए श्रीडूंगरगढ़ के किसान ने मूंगफली पैदा तो कि लेकिन फसल पकने के समय ओलावृष्टी एवं बेमौसम बारिश की मार से किसानों की कमर तोड़ दी। इस पर भी सरकार द्वारा सर्मथन मुल्य पर एक किसान से केवल 25 क्वींटल खरीद की करने की घोषणा से किसान निराश हुए एवं यह सब सहन करने के बाद भी क्षेत्र के धरती पुत्र को अपनी 25 क्विंटल मूंगफली तुलवाने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। किसानों की यह सहनशीलता ही लगातार सिस्टम को कर्म के प्रति उदासीन एवं भ्रष्ट बनाता जा रहा है।