





श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 2 नवम्बर 2023। विधानसभा चुनाव- 2023 का मतदान 25 नवम्बर को होना है एवं मतदान के लिए आज से 22 दिन शेष है। ऐसे में श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स द्वारा प्रतिदिन विशेष कवरेज “सत्ता का संग्राम” टाइम्स के सभी पाठकों के लिए चुनाव की काऊंडाउन के साथ लगातार प्रस्तुत की जा रही है। प्रतिदिन शाम को एक अंदरखाने की खबर के साथ क्षेत्र की चुनावी चर्चा पाठकों के समक्ष रखी जा रही है और इसी क्रम में पढ़ें आज की टिप्पणी।
शक्ति प्रदर्शन अपनी जगह, डर व आस्था अपनी जगह।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। विधानसभा चुनावों में नामांकन रैली प्रत्याशियो के लिए अपने पक्ष में माहौल बनाने एवं ताकत दिखाने का सबसे बड़ा मौका होता है। लेकिन मुहूर्त का भी महत्व इन प्रत्याशियों के लिए कम नहीं होता। ऐसे में प्रत्याशी बड़े ही असमंजस में फंस जाते है उनके सामने एक ओर तो अपने सर्मथकों को जोश भरने की जिम्मेदारी होती है तो वहीं दूसरी ओर मुहूर्त चूक जाने का अनजाना भय भी रहता है। इसी भय को आस्था के नाम से बताकर श्रीडूंगरगढ़ के प्रत्याशियों ने तोड़ निकाल लिया है। गुरूवार को श्रीडूंगरगढ़ के दो प्रमुख प्रत्याशियों ने अपना नामांकन किया और दोंनो ने ही अपने सर्मथकों के साथ जमा करवाने के बजाए मुहूर्त को महत्व दिया। ताराचंद सारस्वत के नामाकंन से पहले सभा एवं सभा के बाद रैली के रूप में नामाकंन भरना तय था। नामाकंन भरवाने के लिए केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी श्रीडूंगरगढ़ पहुंचें। लेकिन सारस्वत ने नामाकंन मुहूर्त पर 1.15 बजे रिटर्निंग अधिकारी के यहां पहुंच गए। सभा में इसकी बात फैली तो इसे मुहूर्त की पालना बताई गई एवं एक ओर नामाकंन जुलूस के साथ भरने की बात कही गई। लेकिन जब जुलूस उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंचा तो वहां तीन बज चुके थे एवं केन्द्रीय मंत्री भी नामांकन में साथ रहे बिना सीधे ही अपनी गाड़ी में बैठ कर रवाना हो गए। ऐसे में वहां पहुंचने वाले अधिकांश लोगों को पता ही नहीं चला कि आखिर हुआ क्या.? इसी प्रकार माकपा प्रत्याशी गिरधारीलाल महिया ने भी मुहूर्त के अनुसार गुरूवार को ही अपना नामांकन दाखिल करवा दिया। हालांकि महिया द्वारा यह मुहूर्त पहले ही दिखवा दिया था और यही प्लान भी था लेकिन गत दिनों हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में 6 नवम्बर को बड़ा जुलूस निकाल कर नामांकन करना तय कर दिया गया। ऐसे में महिया ने भी यही ट्रिक अपनाई है एवं गुरूवार को शुभ मुहूर्त की पालना कर ली एवं इसे सामान्य खानापूर्ति बताते हुए 6 नवम्बर को बड़े जुलूस के साथ पुन: नामांकन भरने की बात कही जा रही है। अब ऐसे में जनता का संशय एक तरफ और आस्था कहें या डर उसकी पालना भी दूसरी तरफ।
इमोशन है, बदल जाते है।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। जिले की राजनीति में कभी धुर विरोधी समझे जाने वाले पूर्व विधायक एवं नोखा के किसान नेता के बीच की दूरी से सब वाकिफ है एवं क्षेत्र की राजनीति में इस कारण हुए बड़े बदलाव के भी सब साक्षी बने है। अब किसान नेता तो बीमारी के कारण बैड पर है ओर ऐसे में नोखा में उनकी पत्नी द्वारा गुरूवार को नामांकन भरवाया गया। इस दौरान श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक के इमोशन बदले देख हर कोई चकित रह गया। श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर वह श्रीडूंगरगढ़ से विधायक बन जाते है एवं दूसरी ओर डूडी साहब का स्वास्थ्य एकदम अनुकुल हो जाए तो वो अपनी विधायकी डूडी के लिए छोड़ देगें और उनका सपना है कि डूडी एवं उनकी पत्नी दोनों एक साथ विधानसभा में प्रवेश करें। कहने को तो यह बदली भावुकता है लेकिन इसे क्षेत्रवासी इमोशनल कार्ड बता रहे है। कहते है ना कि इमोशन है, बदल जाते है।शब्दभेदी बाणों वाले धनुर्धरों, थोड़ा रूको।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। गत चुनावों से सबक लेकर इस बार चुनाव की लंका फतेह करने वाले भगवाधारियों के लिए अपने ही शब्दभेदी धुनर्धर गले की फांस बने हुए है। इस बार पूरी सजगता के साथ एक-एक व्यक्ति की नाराजगी को दूर किया जाने का प्रयास पिता-पुत्र की जोड़ी द्वारा रात और दिन किए जा रहे है। इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। लेकिन इस सकारात्मक बनते माहौल में ये शब्दभेदी धनुर्धर अपने शब्दों के बाण से किसी ना किसी का दिल तोड़ ही देते है। गुरूवार को हुई चुनावी सभा में टिकट के दावेदार रहे बराबर के नेता का जब संबोधन करवाया गया तो एक धुनर्धर ने शब्दबाण चला ही दिया। संयोग रहा कि उसी समय उन नेताजी का पुत्र भी वहीं खड़ा था एवं अपने पिता के प्रति हल्के शब्द प्रयोग लेने पर विरोध भी किया। आस-पास के भगवाधारियों ने मामला शांत भी करवाया लेकिन लाल चौकड़ी धारण किए धनुर्धर भी पीछे नहीं हटे और पुत्र को भी बाहर आकर देख लेने की बात कहने लगे। ऐसे में भगवाधारी प्रत्याशी एवं उनके सर्मथकों द्वारा बस यही अपील की जा रही है कि हे शब्दों के बाण वाले धनुर्धरों, थोड़ा रूको।