श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 26 दिसंबर 2021। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में पशुओं में मुंहपका व खुरपका की बीमारी फैलते हुए महामारी का रूप ले रही है और बड़ी संख्या में क्षेत्र के पशु इससे पीड़ित है। पशु इससे उत्पन्न हुए घाव से निढाल होते हुए परेशान हो रहें है और ऐसे में पशुपालक सचेत हो जावें व बचाव के उपाय अपनाए। ये रोग क्षेत्र के गांव कल्याणसर, ऊपनी, श्रीडूंगरगढ़ सहित अनेक क्षेत्रों में फैल रहा है। इसमें पशु के मुंह में व खुर में घाव हो जाते है जिससे उनका खाना पीना दुभर हो जाता है। इससे पशु की मौत भी हो सकती है। संक्रमित पशुओं में मुंह से झाग आना, लार टपकना, मुंह में बदबू आना, पशु का लंगड़ा कर चलना, चरना व पानी पीना बंद होना, पशु निढाल और कमजोर होकर बैठ जाना जैसे लक्षण नजर आते है। इस बीमारी में पशुओं में दूध उत्पादन कम हो जाता है या बिल्कुल बंद भी हो सकता है। 10 वर्षों से पशुओं का उपचार कर रहें पशुधन सहायक सुरेन्द्र सोनी ने बताया कि ये एक वायरस जनित संक्रमण है जो पशुओं में चार दिन बाद दिखाई देने लगते है। सोनी ने बताया कि पशुपालक ऐसे पशु के मुंह व खुर के घाव को दिन में तीन से चार बार लाल दवा से धोएं, दिन में चार बार ग्लिसरीन लगाएं। सोनी ने कहा कि बड़े पशुओं में इससे मृत्युदर कम है परंतु 5 माह से छोटे पशुओं में मृत्यु का कारण बन रहा है। सोनी ने कहा कि इसका ईलाज मई व अक्टूबर माह में लगने वाले टीके ही है। उन्होंने बताया कि पशु पालक बाड़े की साफ सफाई का ध्यान देवें और बाड़े को सेनेटाइज भी करें। संक्रमित पशुओं को अन्य पुशओं से अलग रखने की व्यवस्था करें।
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