श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 1 अगस्त 2020। समाज के सभी अग्रणी नेताओं व नागरिकों द्वारा पौधरोपण की खबरें व फोटो हम सभी देखते ही रहते है। बुद्धिजीवियों द्वारा यह प्रश्न भी उठाया जाता रहा है कि पौधरोपण नहीं पौधों के बड़े होने तक कितने पाले गए है खबर ये होनी चाहिए। टाइम्स ने इसी विचार को पर्यावरण हित में सही मानते हुए आज से पिछले पौधरोपण के सफल प्रयासों को नागरिकों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। आज शुक्रवार की अच्छी खबर में आप भी पढ़े हमारे क्षेत्र के उन युवाओं के बारे में जिन्होंने पौधरोपण कर केवल फोटो नहीं खिंचवाया वरन अपने गांव की श्मशान भूमि को पिछले सावन से इस सावन तक हरा-भरा कर दिया। गांव दुसारणा-पिपासरिया में युवाओं ने पर्यावरण का महत्व समझा और अपने गांव के श्मशान में पिछले सावन 200 पौधे लगाएं। युवाओं ने वर्ष भर मेहनत की और इन पौधों को वृक्ष बनाने का स्वप्न साकार किया। हालांकि 200 में से 103 पौधे ही वृक्ष बन सके है परन्तु यह प्रयास युवाओं का पूरे गांव के बुजुर्गों ने सराहा है। गांव के बुजुर्ग कहते है कि श्मशान जाते तो गर्मी में तपती धूप में हाल-बेहाल हो जाते थे पर अब इस हरियाली को देख कर मन में तसल्ली हो गयी है की आने वाले समय में धूप में तपना नहीं होगा और इन वृक्षों की छांव में बैठ सकेंगे। गांव के युवाओं ने शुक्रवार शाम को भी यहां 251 पौधे लगाएं व इन्हें पालने का संकल्प लिया। गांव के मालाराम सुथार, कैलाश विश्नोई, रामचंद्र गोदारा, मघाराम गोदारा, बाबूलाल गोदारा, भागीरथ गोदारा, मदनलाल गोदारा, ओमप्रकाश गोदारा, हेतराम गोदारा, लेखराम गोदारा, बजरंगलाल गोदारा, लिछमणराम गोदारा, रामप्रताप गोदारा, मदनलाल तर्ड यहां श्रमदान करते है। इन युवाओं ने बताया कि हम आने वाले वर्षों में इसे पूरी तरह से हरा भरा करते हुए गांव के अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी पौधे लगाएंगे। युवाओं ने कहा कि वर्ष भर इन्हें पानी देने की जिम्मेदारी हम सभी मिल कर संभालते है। एक दिन पहले ही तय कर लिया जाता है कि कल पानी कौन देगा। युवाओं ने कहा कि कोरोना काल में तो पर्यावरण का महत्व और अधिक समझ आ सका है और गांव हित में श्रमदान की संतुष्टी भी मिल जाती है। उन्होंने कहा कि आने वाले सावन तक हम इस श्मशान को पूरा हरा भरा कर देगें।
अब ये चलन बदलना चाहिए।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पौधरोपण की फ़ोटो का विरोध होता ही रहता है कि पेड़ एक नहीं बनता। अब ये चलन भी बदलना चाहिए कि किसने उसे पाल पोस कर वृक्ष बनाया की फ़ोटो होनी चाहिए।
अगर टाइम्स के पाठकों में से और भी किसी ने पौधरोपण नहीं बल्कि पौधों को पाल कर वृक्ष बनाने तक का सफर किया हो तो वे अपनी जानकारी हमें देंवे जिससे पौधारोपण करते हुए फोटो नहीं बल्कि उन्हें वृक्ष बनाने का सफर लोगों के सामने आ सके और वृक्ष के साथ फोटो का सिलसिला प्रारम्भ हो सके।