श्रीडूंगरगढ टाइम्स 15 दिसम्बर 2022। स्कुलों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं सर पर है एवं मौसम बदलने से अंधेरा भी शाम ढ़लने के साथ ही छा जाता है। लेकिन सरकार के फरमान है कि शाम 5.30 से 8.30 बजे तक लोढ़ डिस्पैच कटौती की जाए। ऐसे में क्षेत्र के बरजांगसर एवं सोनियासर गांवों के हजारों बच्चों की हर रात अंधेरे में गुजर रही है। खेती के लिए भी सप्लाई देर रात को आने के कारण सर्द रातों में फसलों की सिंचाई करना किसानों के लिए हर रात मौत से खेलने जैसा बन गया है। इन हालातों से क्षेत्र के गांव बरजांगसर के किसानों में व्याप्त रोष गुरूवार को फुट पड़ा। किसानों ने गुरूवार सुबह बरजांगसर 33केवी जीएसएस के सामने बरजांगसर-कुनपालसर सड़क पर जाम लगा दिया एवं जीएसएस का घेराव कर लिया। किसानों ने विद्युत विभाग के अधिकारियों के माध्यम से चेतावनी दी है एवं यह कटौती लगातार रखने पर बीदासर 132 केवी जीएसएस का घेराव करने की घोषणा की है। किसानों की अगुवाई महावीर प्रसाद स्वामी, प्रभूनाथ सिद्ध, महेश स्वामी, भागीरथ नाथ सिद्ध, जेठनाथ सिद्ध, भोमनाथ सिद्ध, रामलाल सिहाग सहित बड़ी संख्या में किसानों ने करते हुए रोष जताया एवं जम कर विभाग के खिलाफ नारेबाजी की।
अलग थलग सा पड़ा तहसील का दक्षिणी हिस्सा, नहीं कोई सुनवाई।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में अत्याधिक विद्युत मांग होने के कारण यहां के गांवों में सप्लाई श्रीडूंगरगढ़ 132 के अलावा बीदासर, बादनूं, रतनगढ़ आदि से आती है और दुसरे क्षेत्रों से आने वाली सप्लाई में स्थानीय दिक्कतों को दूर करने की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। गांव बरजांगसर एवं सोनियासर के बासों के क्षेत्र में सप्लाई बीदासर 132 केवी जीएसएस से आती है। हालांकी इन किसानों की बिलिंग तो श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र से ही होती है लेकिन प्रसारण बीदासर से होता है। ऐसे में यह हिस्सा बिजली के मामले में अलग थलग सा पड़ रहा है। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में लगभग स्थानों पर यह एलडी कटौती मैनेज की जा रही है एवं बरजांगसर के आस पास के दुसरे गांवों में सप्लाई दी जा रही है। ऐसे में बरजांगसर के किसानों में अधिक रोष व्याप्त है। इन गांवों में खेतों की सप्लाई भी रात 9 बजे से सुबह 3 बजे तक की जा रही है इस कारण सर्द रातों में किसान पानी में भीगने को मजबुर है। वहीं अंधेरा ढ़लने के साथ की सप्लाई बंद हो जाने से बच्चों की पढाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। क्षेत्र के नेता भी इन गांवों की इस समस्या के प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है।