श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 13 जून 2021। शीर्ष का मतलब होता है सिर (माथा) और आसन योगाभ्यास के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शीर्षासन के जितने भी फायदे गिनाये जाएं कम है। इसकी लाभ और उपयोगिता इस बात से समझा जा सकता है कि आसनों की दुनिया में इस योगाभ्यास को राजा के नाम से जाना जाता है। यह योगाभ्यास आपको सिर से लेकर पैर की उँगुलियों तक फायदा पहुँचाता है।
शीर्षासन विधि
1.सबसे पहले आप अपने योग मैट के आगे बैठ जाएं।
2.अब आप अपने अंगुलियों को इन्टर्लाक करें और अपने सिर को उस पर रखें।
3.धीरे धीरे अपने पैरों को इन्टर्लाक अंगुलियों का मदद लेते हुए ऊपर उठायें और इसे सीधा करने की कोशिश करें।
4.शरीर का पूरा भार अब आप इन्टर्लाक किये हुए अंगुलियों और सिर पर लें।
5.इस अवस्था में कुछ देर तक रुकें और फिर धीरे धीरे घुटनों को मुड़ते हुए पैरों को नीचे लेकर आयें।
यह एक चक्र हुआ।
आप इसे 3 से 5 बार कर सकते हैं।
शीर्षासन में सावधानी
1.जिनको उच्च रक्तचाप हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
2.हृदय रोग से पीड़ित लोगों को यह आसन करने से बचना चाहिए।
3.सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
4.सर्दी एवं अत्यधिक जुकाम के हालात में इस आसन को मत करें।
6.कान बहने की शिकायत होने पर भी इस आसन के करने से बचना चाहिए।
7.आरंभ में कम अवधि के लिए यह आसन करना चाहिए।
शीर्षासन के विज्ञान आधारित फायदे
1.इस योगाभ्यास के करने से थाइरॉइड एवं पैरा थाइरॉइड अंतःस्रावी ग्रंथियों को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है और हॉर्मोन का सही तरीके से स्राव होने लगता है। मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है और शरीर के वजन को बढ़ने से रोकता है। 2.शीर्षासन बालों को सूंदर बनाता है। शीर्षासन अभ्यास से मस्तिष्क वाले भाग में ऑक्सीजन का प्रवाह अधिक हो जाता है और मस्तिष्क को उपयुक्त पोषक तत्व पहुँचता है। शीर्षासन केवल बालों के झड़ने को ही नहीं रोकता बल्कि बालों से सम्बंधित और समस्याओं जैसे काले व घने बाल, लम्बे बाल, बालों का झरना, बालों को सफेद होने से रोकना इत्यादि में काम आता है।
3.यह आपकी त्वचा को मुलायम, खूबसूरत और ग्लोइंग बनाता है। इसके अभ्यास से चेहरे वाले हिस्से में खून का बहाव अच्छा हो जाता है और शरीर के पुरे अग्र भाग में पोषक तत्व सही रूप में पहुँच पाता है।
4.इस आसन के अभ्यास से सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जिससे स्मृति बढ़ती है।
5.यह आसन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है।
6. यह आसन पिट्युटरी ग्रन्थि को स्वस्थ रखता है और इसके हॉर्मोन स्राव में मदद करता है। चूंकि पीयूष मास्टर ग्लैंड है इसलिए यह सभी अंतःस्रावी ग्रंथियों को विनियमित करता है।
7.यह पाचन तंत्र को मजबूत करते हुए पाचन के लिए लाभकारी है।
8.यह योगाभ्यास यकृत एवं प्लीहा के रोगों में लाभप्रद है।
9. यह एकाग्रता की क्षमता बढ़ाता है तथा अनिद्रा के निवारण में सहायक है।
(इस बारे में अन्य कोई जानकारी प्राप्त करनी हो तो आप योग व मेडिटेशन स्पेशलिस्ट राजू हीरावत से 9414587266 व्हाट्सएप नम्बर पर सम्पर्क करें)