श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 29 जून 2021। वकासन संस्कृत शब्द वक से बना है जिसका अर्थ होता है बगुला। इस आसन में शरीर की अंतिम मुद्रा बगुले के समान लगती है, इसीलिए यह नाम दिया गया है। यह आसन एडवांस्ड श्रेणी एवं संतुलन आसन के रूप में लिया जाता है। इसके नियमित अभ्यास से आपकी एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है।
विधि
1.सबसे पहले आप काग आसन में बैठ जाएं।
2.हाथों को पैरों के सामने जमीन पर रखें।
3.बांहों को दबाएं तथा घुटने मुड़े रखते हुए ही पैरों को जमीन से ऊपर उठा लें।
4.हाथों को जमीन पर रखते हुए शरीर को जमीन से ऊपर कर लें।
5.जब तक संभव हो, इसी स्थिति में रहें।
यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 पांच बार करें।
सावधानियां
1.उच्च रक्तचाप होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
2.हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
3.कंधे मे ज्यादा दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4.इस आसन को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
लाभ
1. यह शरीर को संतुलित करने में मदद एवं इसको विकसित करता है।
2.यह कंधे के विकारों को दूर करते हुए कंधे को मजबूत बनाने में मदद करता है।
3.यह हृदय गति को भी सुचारू बनाता है।
4. यह आसन एकाग्रता बढ़ाने के लिए उत्तम है।
5.यह छाती को मजबूत बनाते हुए फेफड़े के लिए बेहतरीन योगाभ्यास है।
6.इसके नियमित अभ्यास से आपके हाथों को बल मिलता है और बाहों को विकार रहित बनाता है।
7. इस आसन का प्रैक्टिस बच्चों को करवाना चाहिए जिससे बच्चों में सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है।