जाने कुंभकासन करने की सही विधि व फायदे राजू हीरावत के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 14 जून 2021। कुंभकासन या फलकासन को अंग्रेजी में प्लैंक पोज (Plank Pose) भी कहा जाता है ये लेटकर किया जाने वाला प्राथमिक लेवल का आसान योगासन है। फलकासन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द फलक का अर्थ लकड़ी का तख्ता होता है जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ बैठना होता है। इस आसन को करने के दौरान शरीर लकड़ी के तख्ते की तरह ही सीधा और सख्त रखना होता है। ये नाम इसे इसकी स्थिति की वजह से मिला है।
फलकासन को सिक्स पैक योगासन का हिस्सा माना जाता है। इस आसन को करने के दौरान कुछ ही सेकेंड में पेट की मसल्स पर दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। इसके नियमित अभ्यास से निश्चित रूप से पेट पर जमे हुए फैट को कम किया जा सकता है।

विधि
1. मैट पर पेट की तरफ आएं और दाएं पैर को जितना हो सके पीछे की तरफ ले जाएं।
2.अब बाएं पैर को जितना हो सके पीछे की तरफ ले जाएं।
3.दोनों हथेलियों पर शरीर को उठाकर रखें।
4.हाथ की अंगुलियों को फैलाएं और शरीर का पूरा भार पंजों पर डालें।
5.शरीर को एकदम सीधा रखने की कोशिश करें।
6.सिर, रीढ़ की हड्डी, टेलबोन, हिप्स, घुटने और ए​ड़ी एक सीध में रहेंगी।
7.एडियों को पीछे की तरफ दबाने की कोशिश करें।
8.हाथ एकदम सीधे रहेंगे। घुटनों को मुड़ने न दें।
9.इसी स्थिति में शरीर को 40 से 60 सेकेंड तक रहने दें।
10.अब घुटनों को मोड़ते हुए पर लगा दें।
11.इसके बाद बालासन में आकर कुछ देर तक आराम करें।

सावधानियां
1.हाथों या कलाई में चोट होने पर फलकासन का अभ्यास न करें।
2.टांगों, अपर लेग या जांघों में चोट होने पर फलकासन न करें।
3.लो या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर आसन बिल्कुल न करें।
4.कार्पल टनल सिंड्रोम होने पर फलकासन करने से बचें।
5.एंग्जाइटी की समस्या होने पर फलकासन बिल्कुल न करें।

विशेष
फलकासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं। कभी भी असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। कभी भी कंधे या घुटनों पर न डालें। हमेशा ध्यान दें कि आपने वॉर्मअप कर लिया हो और आपकी कोर मसल्स एक्टिव हो चुकी हों।

फलकासन के फायदे

1.फलकासन का सबसे बड़ा फायदा यही है कि ये एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। ये आपको फोक्सड रहना सिखाता है और एकाग्रता को सुधारता है। बिना इसके ये योगासन करना संभव नहीं है।

2. फलकासन के नियमित अभ्यास से कंधे, अपर आर्म्स, फोरआर्म्स और कलाई के आसपास की मांसपेशियां टोन और मजबूत होती हैं।

3. फलकासन से शरीर की मसल्स जैसे हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स, पिंडली भी टोन होती है। रोज करने से इन अंगों में मजबूती और लचीलापन भी बढ़ता है।

4. पेट की मांसपेशियों या कोर एब्स को टोन करना वाकई सबसे कठिन होता है। लेकिन फलकासन में सबसे ज्यादा जोर पेट की मसल्स पर ही पड़ता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से ये टोन होती हैं और शरीर को थोड़े ही वक्त में सुडौल आकार मिलने लगता है।

5. फलकासन के अभ्यास से पेट के चारों तरफ मांसपेशियों में जमा फैट कम होने लगता है। इससे शरीर को कहीं ज्यादा ताकत मिलने लगती है। इससे पेट की निचली मांसपेशियों को भी शक्ति मिलती है।
6.फलकासन के दौरान चेस्ट को फैलाना पड़ता है। इससे चेस्ट की मसल्स को अच्छा सपोर्ट मिलता है और वे टोन होने लगती हैं। इसके साथ ही चूंकि फलकासन करने के लिए बहुत ज्यादा सांस लेनी पड़ती है, इसी वजह से हमारे फेफड़ों की सांसों को स्टोर करने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे रेस्पिरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र भी बेहतर बनता है।

7.फलकासन के नियमित ​अभ्यास से हिप्स और लोअर बैक की मसल्स टोन होने लगती हैं। इसके साथ ही हिप्स भी मजबूत और लचीले हो जाते हैं।

8.फलकासन से पूरा शरीर स्ट्रेच होता है। इसलिए ये स्पाइन को बेहतर बनाता है और शरीर को सही पोश्चर में लाने में मदद करता है।

9.फलकासन शरीर का सामान्य स्टैमिना बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही शरीर के स्ट्रेस और दर्द को दूर करने में भी मदद करता है।

10.विशेषज्ञ कई थेरेपी में भी फलकासन करने की सलाह देते हैं। ये इंसोम्निया, माइग्रेन, ऑस्टियोपोरोसिस और शरीर की सामान्य कमजोरी जैसी समस्याओं को बहुत ही कारगर तरीके से दूर करने में मदद करता है।