श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 1 जून 2021।हलासन
इसके नाम से ही पता चल रहा है कि शरीर की शेप इस आसन में हल के जैसी बन जाती है। तो आइए जानते है आज के इस लेख में हलासन की विधि, लाभ और इसके वैज्ञानिक आधार के बारे में।
हलासन की विधि
1.योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
2.अपने हाथों को शरीर से सटा लें। 3.हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी।
4.सांस भीतर की ओर खींचते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं।
5.टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। दबाव पेट की मांसपेशियों पर रहेगा।
6.टांगों को ऊपर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें।
7.सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं।
8.पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएंगे।
9.हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ रहेगी।
10.इसी स्थिति में एक मिनट तक बने रहें सांसों पर ध्यान केंद्रित करें सांस छोड़ते हुए, टांगों को वापस जमीन पर ले आएं।
11.आसन को छोड़ते हुए जल्दबाजी न करें। टांगों को एक समान गति से ही सामान्य स्थिति में वापस लेकर आएं।
हलासन में सावधानियां
1.अगर आपको डायरिया या गर्दन में चोट की समस्या है तो हलासन का अभ्यास न करें।
2.अगर आप हाई बीपी या अस्थमा के मरीज हैं तो ये आसन न करें।
3.हलासन के अभ्यास के दौरान समस्या होने पर टांगों को सहारा दिया जा सकता है ।
4.हलासन का अभ्यास शुरुआत में किसी योग्य योग ट्रेनर की देखरेख में ही शुरू करें।
5.शुरुआत में आप अपनी गर्दन पर ज्यादा खिंचाव महसूस कर सकते हैं।
हलासन के फायदे
1. हलासन पाचन तंत्र के अंगों की मसाज करता है और पाचन सुधारने में मदद करता है।
2. मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है।
3. डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेस्ट आसन है क्योंकि ये शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
4. ये रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द में आराम देता है।
5. ये स्ट्रेस और थकान से निपटने में भी मदद करता है।
6. हलासन के अभ्यास से दिमाग को शांति मिलती है।
7. इस आसन से रीढ़ की हड्डी और कंधों को अच्छा खिंचाव मिलता है।
8. ये थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है।
9. ये कमर दर्द, नपुंसकता, साइनोसाइटिस, इंसोम्निया और सिरदर्द में भी फायदा पहुंचाता है।
हलासन के पीछे का विज्ञान
हलासन का नियमित रूप से अभ्यास करने पर संपूर्ण शरीर में भरपूर ऊर्जा का संचार होता है। हलासन से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है और गले और पेट के आसपास लचीलापन बढ़ जाता है।
अगर आपको साइनोसाइटिस की समस्या है या फिर श्वसन नली में कोई बलगम या कफ जमने की समस्या रहती है तो हलासन के अभ्यास से श्वसन तंत्र साफ हो जाता है। निरंतर अभ्यास से सांसों की गति भी स्थिर होने लगती है।
हलासन शरीर के संपूर्ण नाड़ी तंत्र को हील करता है और शांति देता है। ये ग्रंथियों से होने वाले हार्मोन के उत्सर्जन को नियंत्रित करने में मदद करता है। खासतौर पर थायरॉक्सिन और एड्रेनलिन जैसे हार्मोन के उत्सर्जन को हलासन से नियंत्रित किया जा सकता है।
हलासन हमारी मूत्रनली और पाचन तंत्र से जहरीले टॉक्सिन को निकालने में मदद करता है। अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही है तो ये आसन आपको हाइपरटेंशन से निकलने में भी मदद करता है।
(इस बारे में अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें योग एंड मेडिटेशन स्पेशलिस्ट राजू हीरावत से 9414587266 व्हाट्सएप नम्बर पर)