श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 4 जुलाई 2021। मंडूक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ मेंढक होता है। इस आसन में शरीर की आकृति मेंढक जैसे हो जाती है, इसलिए यह नाम दिया गया है।
मंडूकासन करने की विधि
1.सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।
2.अब दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करें और नाभि के पास लाए।
3.मुट्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों के अंदर दबाए।
4.सांस छोड़ते हुए अब आगे की ओर झुके और नाभि पर ज्यादा से ज्यादा दबाव डालें।
5.सिर व गर्दन उठाए रखें व दृष्टि सामने की ओर होनी चाहिए।
6.धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें इस अवस्था को कुछ समय तक बनाए रखें।
7.फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ जाएं और विश्राम करें।
इस प्रकार से मंडूकासन का एक चक्र पूर्ण हुआ । शुरुआत में आप दो से तीन चक्र का ही अभ्यास करें।
सावधानियां
1.पेट में कोई गंभीर विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को ना करें।
2.पीठ दर्द के रोगी इस आसन को ना करें।
3.नाभि की समस्या होने पर भी इस आसन को ना करें।
4.हाइपर एसिडिटी की समस्या हो तो भी इस आसन को करने से बचना चाहिए।
लाभ
1.मंडूकासन करने का सबसे बड़ा लाभ मधुमेह अर्थात डायबिटीज के मरीज को मिलता है क्योंकि इसको करने से अग्नाशय को बल मिलता है और इंसुलिन का स्त्राव संतुलित होता है।
2.कब्ज के रोगियों के लिए मंडूकासन रामबाण की तरह काम करता है। इसको करने से एंजाइम और हार्मोन का स्त्राव बेहतर होता है जो भोजन के पाचन में मदद करता है। यह आसन करने से कब्ज एवं अपच जैसी अनेकों परेशानियों का समाधान होता है।
3.यदि आप लंबे समय से पेट में गैस से परेशान हैं तो मंडूकासन सिर्फ और सिर्फ आपके लिए ही है। इसको करने के दौरान कुछ ही सेकंड में पेट की गैस बाहर निकलना शुरू हो जाती है।
4.अगर आप की तोंद भी बहुत ज्यादा बाहर निकली है और आपके पास जिम जाने का समय बिल्कुल नहीं है तो आप घर पर ही मंडूक आसन का अभ्यास करके कुछ ही महीनों में बाहर निकली हुई तोंद से छुटकारा पा सकते हैं।


