April 20, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 जनवरी 2020। फास्ट फूड का नाम सुनते ही बच्चे उछल पड़ते हैं। उनसे जब भी पूछा जाए कि क्या खाना पसंद करोगे तो फास्ट फूड या जंक फूड का नाम ही जुबां पर आता है। सवाल उठता है कि आखिर बच्चों को ये चीजें ही क्यों इतनी पसंद हैं? जवाब यह है कि यह प्रोसेस फूड होते हैं, जिनमें तरह-तरह के फ्लेवर्स और रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।

जंक फूड को बनाते वक्त स्वाद के लिए इन्हें बेहतर बना दिया जाता है, लेकिन सेहत का उतना ध्यान नहीं रखा जाता। यही कारण है कि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होने के बावजूद ये बच्चों को खूब पसंद आते हैं। प्रोसेस्ड फूड को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है। यानी ये तैयार मिलते हैं और इन्हें तुरंत बनाने करने की जरूरत नहीं होती। इनको खराब होने से बचाने के लिए प्रीजर्वेटिव डाले जाते हैं। इसके अलावा कलर, स्वाद और टेक्स्चर को सुंदर और सुविधाजनक बनाने के लिए इनमें केमिकल्स का भी उपयोग होता है।

शोध बताते हैं कि लंबे समय तक जंक फूड का सेवन किया जाए तो ये प्रीजर्वेटिव्ज और केमिकल्स मोटापा, डायबिटीज और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं।

‘जंक फूड’ कैसे पड़ा नाम –
जंक फूड उन खाद्य पदार्थों को कहा जाता है जिनमें प्रोटीन, विटामिन या खनिज कम होते हैं और चीनी या वसा की मात्रा अधिक होती है। ‘जंक’ शब्द का उपयोग करने से तात्पर्य यह है कि उस खाद्य पदार्थ में “पोषण मूल्य” बहुत कम हैं और वसा, चीनी, नमक तथा कैलोरी अधिक हैं। जर्नल एपेटाइट की रिपोर्ट के अनुसार, जंक फूड की लत स्मोकिंग की लत से कम नहीं है।

बच्चे जब इन प्रोसेस्ड फूड को देखते हैं तो उनका मन ललचा जाता है और वे खाने को मजबूर हो जाते हैं।बच्चों की जिद पूरी न होने पर वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब बच्चों को जंक फूड खाने से रोकने पर सिरदर्द, नींद न आना और तनाव जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं।

एम्स के डॉ. आयुष पाण्डे के अनुसार, क्षमता से अधिक खाना भी खाने की लत का लक्षण है। इससे पीड़ित बच्चे चिड़चिड़े होते हैं, बीमार महसूस करते हैं, बाहर खेलने की बजाए अकेले रहना पसंद करते हैं। हार्मोन असंतुलन के कारण भी खाने की लत लगती है।

बच्चों को इसलिए जंक फूड से दूर रखना जरूरी है-
जंक फूड में भारी मात्रा में शुगर और फैट्स होते हैं। ये मोटापा तो बढ़ाते ही हैं, डायबिटीज की आशंका भी खड़ी करते हैं। इनके सेवन के बाद बच्चा आलस्य का अनुभव करेगा। लंबे समय तक यदि बच्चा एक्टिव नहीं रहेगा तो उसका शरीर बिगड़ जाएगा।

जंक फूड का नकारात्मक असर बच्चों के दिमाग पर पड़ता है। इनके सेवन से पेट तो भर जाता है, लेकिन शरीर और ब्रेन को वे न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं, जिनकी सोचने के लिए जरूरत होती है।

इन फूड्स में कई केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जिनसे एलर्जी का खतरा रहता है। कई बार ऐसी एलर्जी हो जाती है, जिसका इलाज संभव नहीं होता और बच्चे को जिंदगी भर उससे जूझना पड़ता है।

जंक फूड में नमक ज्यादा होता है। यह हड्डियां कमजोर करता है। इनके अधिक सेवन से बच्चे का बर्ताव बदल सकता है। वह चिढ़चिढ़ा हो सकता है। यह जंक फूड में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण होता है।

कई जंक फूड के साथ कोल्ड ड्रिंक्स परोसे जाते हैं। यह फैशन का हिस्सा हो सकता है, लेकिन लगातार ज्यादा कोल्ड ड्रिंक्स से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा रहता है।

बच्चों को जंक फूड से दूर रखने के लिए पारंपरिक खाद्य पदार्थों में थोड़ा बदलाव किया जा सकता है। यानी पौष्टिकता बरकरार रखते हुए उन्हें बच्चों की पसंद के अनुसार बनाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!