11 जुलाई 2021 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें आचार्य विष्णुदत्त शास्त्री के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 11 जुलाई 2021। 🚩श्री गणेशाय नम:🚩

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

📜 आज का पंचांग 📜

☀ 11 – Jul – 2021
☀ Sri Dungargarh, India

☀ पंचांग
🔅 तिथि  प्रतिपदा  07:49:15
🔅 नक्षत्र  पुष्य  26:22:17
🔅 करण :
बव  07:49:15
बालव  20:08:59
🔅 पक्ष  शुक्ल
🔅 योग  हर्शण  16:29:58
🔅 वार  रविवार

☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय  05:44:49
🔅 चन्द्रोदय  06:37:00
🔅 चन्द्र राशि  कर्क
🔅चन्द्र वास दक्षिण
🔅 सूर्यास्त  19:33:39
🔅 चन्द्रास्त  20:51:00
🔅 ऋतु  वर्षा

☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत  1943  प्लव
🔅 कलि सम्वत  5123
🔅 दिन काल  13:48:49
🔅 विक्रम सम्वत  2078
🔅 मास अमांत  आषाढ
🔅 मास पूर्णिमांत  आषाढ

☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित  12:11:36 – 13:06:52
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त  17:43:08 – 18:38:23
🔅 कंटक  10:21:06 – 11:16:21
🔅 यमघण्ट  14:02:07 – 14:57:22
🔅 राहु काल  17:50:02 – 19:33:38
🔅 कुलिक  17:43:08 – 18:38:23
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  12:11:36 – 13:06:52
🔅 यमगण्ड  12:39:14 – 14:22:50
🔅 गुलिक काल  16:06:26 – 17:50:02
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल  पश्चिम

☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ

📜 चोघडिया 📜

🔅उद्वेग  05:44:49 –   07:28:26
🔅चल  07:28:26 –   09:12:02
🔅लाभ  09:12:02 –   10:55:38
🔅अमृत  10:55:38 –   12:39:14
🔅काल  12:39:14 –   14:22:50
🔅शुभ  14:22:50 –   16:06:26
🔅रोग  16:06:26 –   17:50:02
🔅उद्वेग  17:50:02 –   19:33:38
🔅शुभ  19:33:39 –   20:50:06
🔅अमृत  20:50:06 –   22:06:34
🔅चल  22:06:34 –   23:23:01
🔅रोग  23:23:01 –   24:39:29
🔅काल  24:39:29 –   25:55:56
🔅लाभ  25:55:56 –   27:12:24
🔅उद्वेग  27:12:24 –   28:28:51
🔅शुभ  28:28:51 –   29:45:19

❄️लग्न तालिका ❄️

🔅 मिथुन  द्विस्वाभाव
शुरू: 03:57 AM  समाप्त: 06:12 AM

🔅 कर्क  चर
शुरू: 06:12 AM  समाप्त: 08:32 AM

🔅 सिंह  स्थिर
शुरू: 08:32 AM  समाप्त: 10:49 AM

🔅 कन्या  द्विस्वाभाव
शुरू: 10:49 AM  समाप्त: 01:06 PM

🔅 तुला  चर
शुरू: 01:06 PM  समाप्त: 03:25 PM

🔅 वृश्चिक  स्थिर
शुरू: 03:25 PM  समाप्त: 05:44 PM

🔅 धनु  द्विस्वाभाव
शुरू: 05:44 PM  समाप्त: 07:48 PM

🔅 मकर  चर
शुरू: 07:48 PM  समाप्त: 09:31 PM

🔅 कुम्भ  स्थिर
शुरू: 09:31 PM  समाप्त: 10:59 PM

🔅 मीन  द्विस्वाभाव
शुरू: 10:59 PM  समाप्त: अगले दिन 00:25 AM

🔅 मेष  चर
शुरू: अगले दिन 00:25 AM  समाप्त: अगले दिन 02:01 AM

🔅 वृषभ  स्थिर
शुरू: अगले दिन 02:01 AM  समाप्त: अगले दिन 03:57 AM

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि विशेष
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आषाढ़ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि आज प्रतिपदा से शुरू होंगी और 18 जुलाई तक रहेगी। इस तरह नवरात्रि का पर्व 08 दिन मनाया जाएगा। पुराणों की मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गे की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष। बता दें, अप्रत्यक्ष नवरात्रि
को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन की महीने में मनाई जाती हैं, और अप्रत्यक्ष यानी कि गुप्त आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं करने शमशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं। नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है । आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है । वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है ।

घट स्थापना मुहूर्त :- प्रातः 07:38 से 01:10

पं. विष्णुदत्त शास्त्री {8290814026}