April 29, 2024

प्रमुख विपक्षी दलों की 17 – 18 जुलाई को होने वाली बेंगलुरु बैठक ने बड़े सियासी बदलाव की नींव रख दी है। अमित शाह और भाजपा के अनेक नेताओं ने राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी से मुलाकातें की ताकि एकजुट विपक्ष का यूपी में मुकाबला करे व एनडीए का कुनबा बड़ा करे। मगर कल जयंत ने बेंगलुरु बैठक में भाग लेने की घोषणा करके भाजपा को जोर का झटका होले से दिया है। पटना बैठक में जयंत ने भाग नहीं लिया था क्योंकि उस समय वो विदेश यात्रा पर चले गये थे। तब भाजपा ने उनको रिझाने की कोशिश की थी। मगर वो कोशिश विफल हो गई।
इससे ये भी स्पष्ट हो गया कि बेंगलुरु बैठक पटना की बैठक से बड़ी होगी और इसमें 7 से 8 नये क्षेत्रीय दलों के जुड़ने की संभावना है। इन नये दलों को जोड़ने के लिए कांग्रेस ने पर्दे के पीछे रहकर व नीतीश ने सामने आकर प्रयास किये हैं। एनसीपी के विघटन के बाद विपक्ष हताश होने के बजाय ज्यादा जोश से एकता के प्रयास में लगा है। क्योंकि क्षेत्रीय दलों को इस बात का डर है कि महाराष्ट्र की तरह अन्य राज्यों में भी भाजपा क्षेत्रीय दलों को तोड़ सकती है।
जयंत का झटका खास इसलिए है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर अब भाजपा को कोई साथी नहीं मिलेगा। सपा व रालोद तो पहले से ही साथ है और कांग्रेस अब आम चुनाव के लिए एकता को तैयार है, इस हालत में इस जाट बेल्ट में भाजपा को बड़ी परेशानी आयेगी। अखिलेश तो पहले से ही आम चुनाव की तैयारियों में लगे हैं। 34 सीटों पर वे प्रभारियों की घोषणा कर चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि अमरसिंह की तर्ज पर वे यूपी में कुछ फिल्मी सितारों को भी सपा से उतारने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के नरम रुख के बाद ही जयंत ने भाजपा को झटका दिया है, जो उसे ज्यादा परेशानी में डालने वाला है।
पहले कांग्रेस ज्यादा सीटों पर अड़ी हुई थी मगर फिर खड़गे व राहुल ने नीतीश के कहने पर रुख में बदलाव किया। उसी से एकता के लिए कुनबा बढ़ रहा है। कांग्रेस के रुख में ये बदलाव सोनिया गांधी के दखल के बाद आया है। विपक्षी एकता के लिए अब सोनिया भी एक्टिव हो गई है। यूपीए का गठन उन्हीं के प्रयासों से हुआ था। बेंगलुरु बैठक का जिम्मा डी के शिवकुमार को देना भी इस बात का संकेत है कि सोनिया अब एक्टिव है। भाजपा के लिए राजनीतिक परेशानी बढ़ाने वाली बात होगी।
राजद, जेडीयू, कांग्रेस, आरएलडी आदि ने महाराष्ट्र में एनसीपी की टूट के बाद सबसे पहले अपने घर के किलेबंदी का काम किया। कांग्रेस ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ की बैठकें तो वहां के चुनाव को देखते हुए की मगर इसी क्रम में घर की किलेबंदी के लिए महाराष्ट्र, उत्तराखंड की बैठकें भी की। ताकि इन राज्यों में उनके दल में तोड़फोड़ न हो सके। राहुल हरियाणा, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में सक्रिय हुए हैं तो प्रियंका ने मध्यप्रदेश व तेलंगाना को संभाला है। खड़गे विपक्षी एकता के मामले में अगुवाई कर रहे हैं। सब निर्णयों में सोनिया के अनुभव व निर्देशों की पालना भी पार्टी कर रही है। बेंगलुरु बैठक के बाद लगता है आम चुनाव का शंखनाद भी अभी ही हो जायेगा। क्योंकि 18 जुलाई को एनडीए भी दिल्ली में बैठक हो रही है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!