May 16, 2024

वैसे तो कई बार उंगलियों या हाथ के पंजे को खींचने पर हड्डियों के चटकने की आवाज आती है. लेकिन अगर आपकी हड्डियों से नियमित रूप से कट-कट की या फिर पॉपिंग, क्रैकिंग, स्नैपिंग या क्लिकिंग की आवाज आ रही हो तो आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए. हड्डियों से आने वाली इस आवाज को मेडिकल टर्म में क्रेपिटस कहते हैं जिसका अर्थ है खड़खड़ाहट. अगर हड्डियों की इस आवाज के साथ सूजन और दर्द भी महसूस हो रहा हो तो इसे गंभीरता से लें.

ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज को नुकसान

दरअसल, हमारे शरीर की 2 हड्डियां जब एक जगह पर मिलती हैं तो वे आपसे में टकराए बिना आराम से मूव कर सकें इसके लिए हड्डियों का जोड़ एक मजबूत कार्टिलेज से ढका रहता है. लेकिन हड्डियों से जुड़ी बीमारी ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) इसी कार्टिलेज को कमजोर कर देती है और जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ने लगती है हड्डियों से आवाज आने का सिलसिला भी जारी रहता है.

गठिया का सबसे कॉमन रूप है ऑस्टियोआर्थराइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस, आर्थराइटिस यानी गठिया का एक सबसे कॉमन रूप है जो दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रभावित करता है. वैसे तो ऑस्टियोआर्थराइटिस की यह समस्या शरीर के किसी भी हड्डियों के जोड़ में हो सकती है लेकिन यह आमतौर पर हाथों में, घुटने में, कुल्हे या रीढ़ की हड्डी में ज्यादा देखने को मिलती है.

हड्डियों में घर्षण के कारण आती है आवाज

जैसा कि हमने पहली ही बताया है इस बीमारी में जोड़ पर मौजूद कार्टिलेज कमजोर होने लगते हैं और जोड़ों पर मौजूद हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं और इसी घर्षण की वजह से हड्डियों से आवाज आती है.

हड्डियों में चोट लगने के कारण भी हो सकता है ऑस्टियोआर्थराइटिस

वैसे तो ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन युवाओं में भी यह बीमारी हो सकती है अगर उन्हें किसी तरह की चोट लग जाए जिसकी वजह से जॉइंट्स के कार्टिलेज टूटने लगें, लिगामेंट्स में चोट लग जाए या हड्डियों का जोड़ डिस्लोकेट हो जाए.

मोटापा और खराब पॉस्चर है अहम जोखिम कारक

इसके अलावा मोटापा और खराब पॉस्चर भी ऑस्टियोआर्थराइटिस होने से जुड़ा अहम जोखिम कारक है. लिहाजा अगर आपका वजन अधिक है तो डॉक्टर से बात करके वेट लॉस करना फायदेमंद हो सकता है.

ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण

1. हड्डियों और जोड़ों में दर्द
2. हड्डियों या जोड़ों में जकड़न महसूस होना
3. अंदरुनी सूजन और जलन (इन्फ्लेमेशन)
4. बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो जोड़ों में विकृति या टेढ़ापन हो सकता है
5. जोड़ों में दर्द और जकड़न की वजह से व्यक्ति का चलना-फिरना बंद हो सकता है

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