April 26, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 12 अप्रेल 2023। आज किसानों के लिए सबसे बड़ी खबर मेड़ता मंडी से आई है। यहां बीती रात मंडी पूरी रात खुली रही और यहां किसानों की मेहनत रंग लाई। जीरा मंडी में सोने की तरह बिका और किसान लखपति हो गए है। 10 अप्रैल को मेड़ता मंडी में जीरा 50 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिका है यानी 500 रुपए किलो। जीरे के यह भाव दुनिया में अब तक के सबसे ज्यादा है। यहां तक कि देश में जीरे की सबसे बड़ी मंडी गुजरात की ऊंझा मंडी को मेड़ता मंडी ने पछाड़ दिया। ऊंझा में जीरा के भाव दिन जीरे के भाव करीब 42 हजार रुपए प्रति क्विंटल रहे और नतीजा यह रहा कि मेड़ता की मंडी में इस एक ही दिन में सात सौ से अधिक किसानों ने करीब 15 हजार क्विंटल जीरा बेचा। ऐसे में पहली बार मंडी पूरी रात खुली रही। पिछले एक साल की ही बात करें तो जीरे के रेट एकदम दोगुने हो गए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी इसके भाव और बढ़ेंगे। आपको बता दें कि घरों में चुटकी भर काम आने वाला जीरा खेतों में बहुत ही मुश्किल और मेहनत से पैदा है। ऐसा बहुत कम होता है जब मौसम भी साथ दे जाए और किसानों को इसके पूरे दाम भी मिल जाएं। इसीलिए यह भी कहा जाता है कि जीरा ना ही उगाया जाए तो अच्छा, लेकिन अब जीरे ने यह सारे मिथक तोड़ दिए हैं। इस बार जिन किसानों ने जीरा उगाया, उन्हें यह लखपति बना रहा है।
24 घंटे में ही हुआ एक अरब का कारोबार
अभी मार्च के दूसरे सप्ताह की ही बात है। मेड़ता मंडी में नए जीरे की आवक होने लगी थी और इसके भाव शुरू हुए थे 34 हजार रुपए प्रति क्विंटल से। अप्रैल आते-आते यह भाव 34 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंचे, तब किसी ने सोचा नहीं था कि जीरा अभी और कितना महकेगा, लेकिन इसके बाद जीरे के भावों ने जो रफ्तार पकड़ी वह सीधे 50 हजार पर जाकर रुकी। मंडी के अंतिम कारोबारी दिन यानी 10 अप्रैल को यह अपने अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस दिन स्थिति यह थी कि बड़ी मात्रा में जीरा आने से मंडी में कहीं पैर रखने की जगह नहीं बची। 50 बीघा में फैली मंडी छोटी पड़ गई। सोमवार रात 9 बजे तक जीरे की ढेरी बोली लगती रही और सुबह 4 बजे बाद तक जीरे की तुलाई का काम चलता रहा। मेड़ता मंडी इतिहास में पहली बार एक दिन में अनाज की इतनी अधिक आवक से एक अरब रुपए का कारोबार हुआ है।
जीरे के भाव बढ़ने के 4 सबसे बड़े कारण
1. विदेशों में मौसम की मार: टर्की-सीरिया में बेमौसम बारिश की वजह से बड़ी मात्रा में जीरा नष्ट हो गया है।
2. इंडिया में भी मौसम की मार: भारत में भी बेमौसम बारिश से 20 से 30 फीसदी जीरे की फसल में खराबा रहा है।
3. जीरे की डिमांड: फसल कमजोर होने से जीरे की सप्लाई घटी तो वर्ल्ड और डोमेस्टिक मार्केट में डिमांड बढ़ गई है। डिमांड बढ़ी तो दाम भी बढ़े।
4. शेयर बाजार: जीरे की डिमांड बढ़ने से शेयर बाजार में भी लगातार जीरे में तेजी चल रही है।
जीरे की तेजी बनी रहेगी
मेड़ता मंडी के जीरा व्यापारी सुमेरचंद जैन ने बताया कि आगामी दिनों में भी जीरे के भावों में स्थिरता बनी रहेगी। मामूली गिरावट के साथ ही भाव स्थिर रहेंगे। बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिलेगी। आगे जीरे से किसानों को अच्छा फायदा होना तय है। बाजार एक्सपर्ट मुकेश प्रजापत ने बताया कि जीरा का उत्पादन कम है, ओल्ड बैलेंस भी कम है। एक्सपोर्ट अच्छा है, इसलिए भावों में आगामी दिनों में भी ऐसी ही तेजी बनी रहेगी।
प्रदेश का 80% जीरा उत्पादन सिर्फ पश्चिमी राजस्थान में
इस साल राजस्थान में 5.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जीरे की फसल बोई गई थी। अकेले पश्चिमी राजस्थान में प्रदेश के 80% जीरे का उत्पादन होता है। प्रदेश में जालोर, जोधपुर, नागौर, पाली, बीकानेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर जीरे की बुवाई और उत्पादन में आगे हैं। यहां का जीरा महकदार और उच्च क्वालिटी का होता है। जालोर, पाली, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर के ज्यादातर किसान अपना जीरा बेचने के लिए गुजरात की ऊंझा मंडी जाते हैं, जो देश की सबसे बड़ी मंडी है, लेकिन मेड़ता में जीरे की इस फिफ्टी ने इंडिया की सबसे बड़ी जीरा मंडी ऊंझा (गुजरात) को भी पीछे छोड़ दिया। वहां सोमवार को जीरे के अधिकतम भाव 45 हजार रुपए प्रति क्विंटल रहे।

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