श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 20 अक्टूबर 2021। बाड़ ही खेत को खाए तो खेत का धणी कौन होगा.? ये कहावत आज कस्बे पर सटीक बैठ रही है क्योंकि यहां पालिका प्रशासन में बैठे अधिकारियों पर ज प्रातिनिधि लगातार आरोप लगाते हुए जांच की मांग कर रहें है। पार्षदों के दावा है कि ये अधिकारी कस्बे का विकास नहीं वरन अपने बैंक बैंलेस के विकास पर अधिक फॉकस कर रहें है। पार्षदों ने जिलाकलेक्टर को शिकायती पत्र देकर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है। वार्ड 6, वार्ड 7 व वार्ड 8 के पार्षदों ने जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका में हो रहे भ्रष्टाचार के जांच की मांग की है। पार्षदों ने ऑटो टीपर घोटाले, गलियों में सफाई के नाम पर हो रहें भारी घोटाले की जांच की मांग करते हुए कहा कि कचरा परिवहन व सफाई टेण्डर से संबंधी पत्रावलियां जन स्वास्थ्य व स्वच्छता समिति के पास नहीं देकर अधिकारी नियमों का मखोल उड़ा रहें है। सरे आम पार्षदों का अपमान करने, जो कार्मिक बात नहीं माने उसे अनुचित ढंग से संस्पेड करने की जांच की तुरंत की जाए। बता देवें पक्ष विपक्ष सहित जनस्वास्थ्य व स्वच्छता समिति के अध्यक्ष ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए पालिका के अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग जिलाकलेक्टर से की थी। समिति अध्यक्ष व पालिका उपाध्यक्ष सहित पार्षदों ने बिन्दुवार आरोप लगाते हुए बताया कि कस्बे के चारों बासों में 10 या कभी 15 सफाई कर्मी कार्य करते है परन्तु प्रति बास 30 कार्मिक दिखा कर फर्जी बिल बनाकर भुगतान उठाया जा रहा है जिससे सालाना 20 लाख से अधिक का गबन हो रहा है। पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगरपालिका में पच्चीस ऑटो ट्रिपर है जिसमें से 4 ऑटो ट्रिपर तीन साल से खराब है इनमें से 6 से 8 ऑटो टिपर लगभग खराब रहते है। जिससे ये साबित होता है कि रोजाना 15 ऑटो टिपर ही चलते है। परन्तु बिल 21 ऑटो टिपर का उठाया जा रहा है जिससे सालाना 10 लाख से अधिक रूपयों का घोटाला किया जा रहा है और एक ऑटो टिपर को महीने का रूपया 27000 मिलता है। पार्षदों ने कहा कि अग्निशमन (दमकल) इसमें नियमित चलाने व रख रखाव के लिए तीन आदमी रहते है। परन्तु इसमें भी फर्जी भुगतान उठाया जाता है। चेम्बर सफाई नियमित सरकारी सेवा कार्यरत कर्मचारी करते हैं परन्तु ठेकेदार ने दस लाख का फर्जी बिल उठाया है। पार्षदों ने बताया कि कोरोना काल में मास्क, सेनेटराईज, गलब्स की खरीद मात्र 46000 की थी परन्तु पालिका ने 4 लाख का बिल उठाया है। यही नहीं कोरोना काल में गलियों में जो सेनेटाईजर छिड़काव किया गया था वह सेनेटाईजर मात्र 1 लाख 20 हजार का था परन्तु उसका बिल 3 बार उठाया गया है। कस्बे में कचरा पात्र की 6 गुणा ऊंची रेट पर खरीद की गई और यहां आये 600 रूपए प्रति कचरा पात्र का बिल 2000 का बनाया गया। नालियों के चैम्बरों पर जो ढक्कन लगाये जाते है पूरे साल में 100 नग आए व बिल तीन बार उठाया गया। पार्षदों ने शहर में कोरोना काल में सेनेटाईजर के लिए ट्रेक्टर जो हेमासर के लगाये थे 800 रुपये गाडी में उनका बिल 4000 रुपये से बनाया और ट्रैक्टर की संख्या 6 कर दी गई। शौचालय खरीद में बड़ा घोटाला किया गया तथा कच्चे जोहड व पक्के जोहड़ पर जनरेटर किराया पर चलता है उसका किराया 40 लाख दे दिया गया है परन्तु नया नहीं खरीदा गया है जबकि 40 लाख में 8 जनरेटर आ जाते है और अगर बिजली कनेक्शन ले लेवे तो जनरेटर और आदमी की बचत की जा सकती थी। पार्षदों ने कहा कि जेटिंग मशीन पर दो आदमी कार्यरत है परन्तु ठेकेदार को 6 आदमी का भुगतान किया जा रहा है। नगरपालिका द्वारा कैरी बेग (घर घर सप्लाई) दस लाख का टेण्डर निकाला तथा कैरी बेग 10,000 की आई व सारा रूपया अधिकारियों ने डकार लिया। कस्बे में आठ ट्रेक्टर का फर्जी बिल बना कर रूपए उठाए सहित पार्षदों ने आरोप लगाया कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में माईक व्यवस्था 4 लाख, फोटो कॉपी व्यवस्था 3 लाख, प्रिंटिंग कार्य 6 लाख व चाय नाश्ता 5 लाख और टेन्ट व्यवस्था 10 लाख यानि टोटल 28 लाख बताया गया है इसमें भी अधिकारियों ने भारी घोटाले को अंजाम दिया है।