October 16, 2024

पटना में हुई 15 विपक्षी दलों की बैठक के बाद से ही नाखुश अरविंद केजरीवाल ने अपने निर्णय से ही खुद को विपक्ष से अलग थलग कर लिया है। कल तक नीतीश, ममता, अखिलेश, स्टालिन आदि जो उनको खुलकर समर्थन करते थे, अब साथ देने में हिचकिचाएंगे। क्योंकि उनको विपक्ष की एकता का धर्म निभाना ही पड़ेगा।
पटना बैठक में शामिल हुई आप का मुख्य ध्येय केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन पाना था, मगर कांग्रेस ने उस विषय पर कूटनीति अपनाई और साथ का वादा नहीं किया। केजरीवाल इससे भड़क गये और विपक्ष की संयुक्त पीसी में बिना भाग लिए दिल्ली लौट गये। अब उन्होंने भाजपा की तरफ से समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सैद्धान्तिक समर्थन कर सेल्फ गोल कर लिया। क्योंकि अधिकतर विपक्षी दल भाजपा के इस निर्णय के विरुद्ध है। साथ ही अगले आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए ही एक हुए हैं। अब वे आप का समर्थन करने से परहेज करेंगे।
कांग्रेस अपनी जगह सही है, वो क्यों आप का समर्थन करे। दिल्ली और पंजाब में आप ने उसी से सरकार छीनी है और कड़ा विरोध किया है। उसी आप को समर्थन करना तो कांग्रेस के लिए अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। ये काम कोई भी राजनीतिक दल क्यों करेगा।
विपक्ष वैसे आप के पटना से चले जाने के बाद खास चिंतित भी नहीं है। क्योंकि उसका प्रभाव केवल छोटे राज्य पंजाब व केंद्र शासित दिल्ली में ही है और वहां सीट भी कम है।
देश की राजनीतिक स्थिति से स्पष्ट है कि विपक्ष की एकता बिना कांग्रेस सम्भव भी नहीं और असरकारक भी नहीं। ये बात पटना बैठक में सभी शेष विपक्षी दलों ने भी स्वीकारी है। ममता व अखिलेश भी इस बात को स्वीकार गये। विपक्षी दलों को ये पता है कि उनको आप से ज्यादा कांग्रेस उनकी जरूरत है। ये बात आप ने सोची नहीं और जल्दबाजी में निर्णय कर लिया जो अब उसे अलग थलग कर देगा। रही सही कसर आप ने समान नागरिक संहिता का समर्थन करके पूरी कर दी। इससे दिल्ली व पंजाब में भी उसके समर्थक नाराज होंगे, इसलिए ये सेल्फ गोल जैसा है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार

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