योग फ़ॉर इम्युनिटी जानें अग्निस्तम्भासन करने की सही विधि व फायदे राजू हीरावत के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 जून 2021। प्रकृति को गुरु मानने वाले योग गुरुओं ने ​शरीर में पित्त या अग्नि बढ़ाने के लिए एक योगासन का निर्माण किया। इस योगासन का नाम ​अग्निस्तम्भासन या Fire Log Pose भी है।
*विधि*
1.योगमैट पर सुखासन में बैठ जाएं।
2.बाएं पैर को दाहिने घुटने के ऊपर रखें।
3.दायां पैर बाएं घुटने के नीचे आ जाना चाहिए।
4.श्वांस लें और कूल्हों को नीचे दबाएं।
5.सिर को ऊपर की तरफ खींचने की कोशिश करें।
6.कंधों को नीचे और पीछे की तरफ खींचें।
7.छाती को सामने की ओर दबाएं।
8.धीरे-धीरे कूल्हों को नीचें की तरफ लेकर जाएं।
9.घुटनों को फर्श से स्पर्श करवाने की कोशिश करें।
10.सांस छोड़ते हुए धड़ को आगे तक लेकर आएं। यदि संभव हो, तो अपने सिर को फर्श से छूने दें।
11.इसी स्थिति में 2-6 सांसें भीतर की ओर खींचें और छोड़ें।
12. धीरे-धीरे सांस लेते हुए ऊपर की तरफ उठें।
अब इसी आसन को दूसरी तरफ से भी करें।
*सावधानी*
1.रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर ये आसन न करें।
2.गंभीर बीमारी होने पर भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
3.डायरिया होने पर ये आसन न करें।
4.गर्दन में दर्द होने पर अग्निस्तम्भासन नहीं करना चाहिए।
5 कंधे में दर्द की समस्या होने पर हाथ ऊपर न उठाएं।
6.घुटने में दर्द या आर्थराइटिस होने पर दीवार के सहारे ही अभ्यास करें।
7.दिल और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज ये आसन न करें।
*लाभ*
1.हैमस्ट्रिंग, पिंडली और एडक्टर मसल्स को अच्छा स्ट्रेच देता है।
2 पसलियों की मांसपेशियों को अच्छा स्ट्रेच देता है।
3 सांस लेने में होने वाली समस्याओं को दूर करता है।
4.धड़ की मांसपेशियों को अच्छा स्ट्रेच देता है।
5.सीने और कंधे की मांसपेशियों को खोलकर फैलाता है।
6.फेफड़ों और पेट की मांसपेशियों को स्टिम्युलेट करता है।