श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 28 सितंबर 2020। आजकल भगवान की तस्वीरों को पेम्पलेट, माचिस, बेनर इत्यादि पर नहीं लगाने की चर्चाएं चारों और चल रही है। इसी तरह भगवान की मूर्तियों को घर के बाहर पीपल में नहीं फेंकने की जागृति का अभियान हमारे कस्बे में चल रहा है। पीपल का वृक्ष जिसमें सनातन धर्मावलंबियों की आस्था अटूट है और वे तैतीस कोटि देवी देवताओं का निवास इस वृक्ष में मानते है। इस पवित्र माने जाने वाले वृक्ष पीपल में कचरे का ढेर भी आप सभी देखते है। अपने पूजाघर का कचरा और टूटी-फूटी मूर्तियां लोग इसी वृक्ष की जड़ो में डालते है। कुछ समय बाद ये मूर्तियां गली में और सड़क पर नजर आती है जिससे आहत आज कल कस्बे में एक व्यक्ति नजर आता है जो इन पीपल के वृक्षों को गैंती, फावड़ा लेकर साफ करते दिखता है। ये शख्स एक थैले में सभी मूर्तियों को, फोटो को डाल कर ले जाते नजर आते है। वे लोगों को ये समझा रहें है कि देवीदेवताओं का वास है इस वृक्ष में है तो क्यों इसमें पूजाघर का कचरा डाला जाता हैं। और फिर भगवान की तस्वीरें पैरों में नजर आती है। ये व्यक्ति लोगों को समझाता हैं कि पृथ्वी, जल, अग्नि ऐसे तत्व है जिनमें सभी मूर्तियों को या अपने पूजाघर के कचरे को डाला जा सकता है। उन्हें मिट्टी में गाड़ सकते है या अग्नि में आहूत कर सकते हैं, या जल में गला कर घर के गमलों में ही डाला जा सकता है। आज यही उचित भी लगता है। आइए आप भी जानें ऐसे विरले शख्स के बारे में जो इस धारणा को बदलने में अपने जीवन के 70वें दशक का योगदान समाज हित में दें रहें है।
ये व्यक्ति है श्रीडूंगरगढ़ के धनेरू गांव के निवासी बक्शीराम जी जोशी जो वर्तमान में श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में रहने लगे है। 74 वर्षीय बक्शीराम कस्बे के सभी पीपल के पेड़ और गट्टों की साफ सफाई करते नजर आते है। टाइम्स को बक्शीराम ने बताया कि वे धनेरू गांव में थे तभी एक दिन गांव के पीपल को देखकर ये ख्याल आया कि इनकी सफाई करनी चाहिए और लोगों को समझाना चाहिए की यह दैवीय वृक्ष जो सर्वाधिक ऑक्सीजन का स्रोत भी है इसे खराब ना करें। जोशी ने गांव के 8-10 पीपल के वृक्षों को साफ किया व अब कस्बे के सभी बासों में पीपल के वृक्षों की साफ सफाई करने में जुटें है। बक्शीराम जोशी आसाम के सिलचर में अपना मिठाई का व्यवसाय अपने पुत्रों को सौंपने के बाद अब पुनः मातृभूमि लौट कर अपने खाली समय का उपयोग इस सामाजिक योगदान से कर रहें है। जोशी ने कहा कि अपनी उम्र के लोगों को देखता हूं तो लगता है कि वे भी अपने कुछ समय का योगदान समाज हित में देवें। जोशी ने कहा कि शुरू में लोग कहते की कौन है, ये क्या कर रहें है, परन्तु अब लोग समझने लगें है और पीपल में कचरा नहीं फेंकने की बात भी स्वीकार करते है। जोशी ने टाइम्स को बताया कि वे इन मूर्तियों को ले जाकर धरती के हवाले कर देते है या अग्नि में आहूत कर देते हैं।
समाजसेवी राजेन्द्र स्वामी ने कहा कि बक्शीराम जी जोशी निस्वार्थ भाव से पीपल की सेवा का कार्य कर रहें है जो कस्बे के लोगों के लिए प्ररेणीय है और नागरिकों को भी पीपल में कचरा डालने से अब बचना चाहिए।