गुरूकृपा प्राप्ति के लिए कैसे करें पूजन, आप भी क्या विशेष करें जाने पंडित विष्णुदत्त शास्त्री के साथ।

श्रीडूंगरगढ टाइम्स 5 जुलाई 2020। सभी पाठकों व दर्शकों को श्रीडूंगरगढ टाइम्स की ओर से गुरू पूर्णिमा की शुभकामनाएं। आज के विशेष दिन आप भी क्या करें जानिए हमारे क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित विष्णुदत्त शास्त्री से। विष्णु ने बताया कि आज आषाढ पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहा जाता है। आज के दिन ही महान ऋषि और गुरु वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। आज के दिन गुरु की सेवा और पूजा की जाती है। हमारी संस्कृति में गुरू को विशेष महत्व दिया जाता है माना जाता है कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ती संभव नहीं है। अतः जीवन के हर पड़ाव में गुरु का होना बेहद जरूरी है। गुरु का अभिप्राय ज्ञान से होता है और ज्ञान सामाजिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक या शैक्षिक जो भी हो गुरू आवश्यक है। गुरु के सानिध्य में रहकर उनकी सेवा और भक्ति करने से व्यक्ति को सद्बुद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। साथ ही जीवन के सभी उत्तम मार्ग प्रशस्त होते है। कहा भी गया है-
“अज्ञानतिमिरान्धस्य *ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुनमीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥“

गुरु शिष्य के जीवन में व्याप्त अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जिस तरह व्यक्ति इच्छा प्राप्ति के लिए ईश्वर की भक्ति करता है। ठीक उसी तरह व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए गुरु की सेवा और भक्ति करनी चाहिए। साथ ही गुरु प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
आज के दिन ऐसे करें अपने गुरू का पूजन
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। पं. विष्णु दत्त ने बताया कि सनातन धर्म में गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है। गुरु के जरिए ही मनुष्य ईश्वर तक पहुंच सकता है। ऐसे में गुरुओं की पूजा भी भगवान रूप में ही की जानी चाहिए।
-गुरु पूर्णिमा पर सवेरे जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाएं और फिर व्यास पीठ बनाएं।
– इसके बाद ”गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
– जाप के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें।
– अगर गुरु सामने ही हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं। उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें।
– अब उन्हेंस भोजन कराएं।
– इसके बाद दक्षिण दें और पैर छूकर विदा करें।