श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 4 जुलाई 2020। सफेद चमकते दांत हर किसी का सपना होते हैं। लोग इन्हें सुंदर बनाने और दिखाने के लिए कई जतन भी करते हैं। दिन में दो बार ब्रश करना, माउथ वॉश आदि का इस्तेमाल करने के बावजूद जाने-अनजाने में छोटी-बड़ी गलतियां कर जाते हैं। खास बात यह है कि इन गलतियों की आदत हो जाती है और यह पता नहीं होता है कि वास्तव में ये आदतें नुकसान पहुंचा रही है। दांतों में मैल, कैविटी और दांत का दर्द इन गलतियों का ही परिणाम होता है।
डॉ. राज़ी अहसान का कहना है कि कैविटी यानी दांतों का सड़ना या कीड़े लगना तब होता है जब कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना जैसे ब्रेड, अनाज, दूध, सॉप्ट ड्रिंक्स, फल, केक या टॉफी दांतों में रह जाते हैं। इससे मुंह में मौजूद बैक्टीरिया इसे एसिड में बदल देते हैं। बैक्टीरिया, एसिड, दांतों में अटका खाना और लार मिलकर प्लाक बनाता है, जो दांतों से चिपक जाता है। प्लाक में मिला एसिड इनेमल को खत्म कर देता है और छेद कर देता है। यह कैविटी समय के साथ बड़ी भी हो जाती है।
एम्स की डॉ. वीके राजलक्ष्मी का कहना है कि दांतों में मैल जमने का खतरा तब बढ़ जाता है जब बार-बार खाना खाते हैं। ओरल हाइजिन खराब होती है या फिर लोग सिगरेट या तंबाकू खाते हैं। रोजमर्रा की कई ऐसी आदतें हैं, जिनसे दांतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और दांतों में ये सब परेशानियां पैदा होने लगती है।
सुबह उठकर सबसे पहले ब्रश करने के बाद ही खाना और पीना ठीक है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि दिन का आखिरी काम ब्रश करना ही होना चाहिए, क्योंकि सोने से पहले चाय पीना भी दांतों पर गलत प्रभाव डालता है।
रोजाना दांतों को केवल 30 सेकंड तक ब्रश करने से कोई अच्छे नतीजे नहीं मिलने वाले हैं। इससे कैविटी और दांतों की अन्य समस्या हो सकती है। चारों कोनों में कम से कम 30 सेकंड देना चाहिए यानी पूरे मुंह के लिए 2 मिनट का समय देना चाहिए।
दांतों की सफाई की बात आती है तो कई लोग बहुत कठोर तरीके से ब्रश करते हैं। लेकिन ऐसा करने से इनेमल को नुकसान पहुंचता है और दांत संवेदनशील हो जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि टूथब्रथ व्यक्ति को सूट करता हो।
इतना ही नहीं खाना खाने के तुरंत बाद भी ब्रश करना इनेमल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, विशेष रूप से जब कुछ एडिसिक खाया हो। इसलिए खाना खाने के 30 मिनट तक ब्रश नहीं करना चाहिए।
शोधकर्ताओं के मुताबिक हर तीन महीने में ब्रश बदलना चाहिए। ऐसा न करने पर दांतों के क्षय की संभावना रहती है, क्योंकि टूथब्रश के ब्रिसल्स खराब हो जाते हैं और यह दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
टूथब्रथ मुंह में बैक्टीरिया को नहीं मार सकता है। जब कोई बीमार हो तो ब्रश बदल लेना चाहिए, ताकि दूसरी बार बीमारी फिर न पकड़ ले। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उस दौरान अन्य टूथब्रश उसके संपर्क में न आएं, जब व्यक्ति बीमार हो। मुंह से आने वाली बदबू खराब हाइजिन या गम डिसीज की ओर इशारा करती है।