श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 8 जुलाई 2021। श्रीडूंगरगढ़ तहसील के गांव माणकरासर में गोचर भूमि पर हो रखे ग्रामीणों के अतिक्रमण को हटाने के लिए दल बल के साथ राजस्व प्रशासन पहुंचा लेकिन ग्रामीणों के तल्ख विरोध के चलते प्रशासन को उल्टे पांव लौटना पड़ा। मामला कुछ यूं है कि गांव माणकरासर में समय के साथ आबादी तो बढ़ी लेकिन आबादी भूमि नहीं बढ़ी। ऐसे में समय के साथ साथ लोग गांव से सटी हुई गोचर भूमि में धीरे-धीरे बसते गए। लेकिन करीब दो साल पहले प्रशासन की नजर इस ओर पड़ी तो सभी अतिक्रमणों को चिन्हित कर उनके खिलाफ धारा 91 के तहत प्रकरण चलाए गए एवं गांव में कुल 216 अतिकर्मियों को वहां से बेदखली के आदेश किए गए। इन आदेशों को निकाले हुए छह माह से अधिक समय हो गया लेकिन प्रशासन इन आदेशों को अमलीजामा नहीं पहना सका। गुरूवार को आदेश तालीम करवाने तहसीलदार द्वारा विशेष टीम का गठन कर पुलिस बल के साथ मणकरासर भेजा गया और अतिक्रमण हटाने की शुरूआत भी की गई लेकिन एक बाड़े की एक-दो पट्टी तोड़ने के दौरान ही वहां सैंकडों की संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गए और जेसीबी के आगे खड़े हो गए। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासनिक दस्ते ने वहां से लौटने में ही भलाई समझी और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हो पाई। वहीं दूसरी और ग्रामीणों ने गांव में आधी से अधिक आबादी के गोचर में बसे होने की बात कहते हुए गोचर भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि आबादी बढ़ने के साथ घर तो बढ़ेंगे ही और आबादी भूमि नहीं बढाई गई तो इसमें ग्रामीणों का क्या दोष है। ग्रामीणों द्वारा इस संबध में पूर्व में सभी नेताओं, अधिकारियों के यहां लगाई गई गुहार की दुहाई भी दी गई और अतिक्रमणों को हटाने के बजाए भूमि रूपांतरण कर ग्रामीणों को पट्टे देने की मांग की है।