साधासर में चिकित्सा केंद्र देने पर खुशी और श्रीडूंगरगढ़ में ट्रोमा नहीं देने का गम।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 दिसम्बर 2019। लंबे समय से श्रीडूंगरगढ़ में चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार की मांग करने वाले क्षेत्रवासियों के लिए शनिवार का दिन थोड़ी खुशी – थोड़े गम वाला रहा। मौका था राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा द्वारा राज्य में नए चिकित्सा केंद्रों की घोषणा करने का। डॉक्टर रघु शर्मा की घोषणाओं में श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा के गांव साधासर में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र खोले जाने की घोषणा से ग्रामीण खुश हैं वही श्रीडूंगरगढ़ में लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद भी यहां ट्रोमा सेंटर नहीं खोले जाने का गम भी क्षेत्रवासियों को सत्ता रहा है। साधसर सरपंच पति रामकिशन तरड़ ने बताया कि गत चुनावो से पहले ही विधायक महिया ने ग्रामीणों से यह वादा किया था और सरकार के पहले बजट में ही गांव में चिकित्सा केंद्र की घोषणा कर दी गयी थी। अब बजट घोषणाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। अब गाँव की चिकित्सा सेवा केवल एएनएम के भरोसे नहीं रह कर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र होने से विशेषज्ञ चिकित्सक ओर अन्य पूरा स्टाफ संभालेगा। ग्रामीणों ने इस घोषणा के बाद विधायक, सरपंच ओर सरकार का आभार जताया है।

ट्रोमा सेंटर क्यों नहीं, नेताओं से ज्वलंत सवाल।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। भले ही गांव साधासर में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र खोले जाने को विधायक समर्थक विधायक को श्रेय दे रहे हैं लेकिन पूरे क्षेत्र की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुके श्रीडूंगरगढ़ मुख्यालय पर ट्रोमा सेंटर नहीं बनाना क्षेत्र की कमजोर राजनीतिक शक्ति को जगजाहिर कर दिया है। चिकित्सा मंत्री ने राज्य में 11 नए ट्रोमा सेंटर, 100 नए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और 50 क्रमोन्नत प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाने की जानकारी दी है। अपने आसपास के क्षेत्र में हनुमानगढ़ के नोहर में, सीकर के लक्ष्मणगढ़ में, चुरू के राजगढ़ में ओर नागौर के मेड़ता सिटी में ट्रोमा सेंटर बनाये गए हैं। कहने को तो श्रीडूंगरगढ़ के विधायक विधानसभा में सबसे ज्यादा जोर शोर से मुद्दे उठाते हो, या भले ही यहां के पूर्व विधायक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मंगलाराम गोदारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हो या फिर चाहे यहां के भाजपा नेता अपने संघर्ष को दिखाते हो लेकिन धरातल पर नए ट्रोमा सेंटर बनने की क्रम में श्रीडूंगरगढ़ को वंचित रखे जाने ने यहां के नेताओ की राजनीतिक क्षमता पर सवाल उठाया है। क्षेत्रवासी भी यही चाह रहे हैं कि जनप्रतिनिधि भले ही आपस मे कितना भी विरोध रखे लेकिन क्षेत्र के जरूरी मुद्दों पर इस विरोध से ऊपर उठ कर जनता के लिए सामूहिक प्रयास करें।