March 29, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 23 दिसम्बर 2019। कहते है बच्चे माँ बाप के कलेजे का टुकड़ा होते है। पर वही बच्चा अगर बेटी है तो मापदंड बदल जाते है फिर वो संतान नहीं बस कन्या हो जाती है और कलेजे का टुकड़ा नहीं होती वह केवल संवेदनशील लोगों की आँख का पानी बन कर रह जाती है। आज सुबह आडसर गांव में भ्रूण हत्या का मामला सामने आया और पूरी तहसील में ये चर्चा रही कि किस माँ को भगवान ने ये पथरीला कलेजा दिया। हमारे सभ्य समाज में बेटीयाँ झाड़ियों में नालियों में पड़ी मिलती है आज हमारे क्षेत्र में 9 माह की कन्या जिसने दुनिया मे जिंदा कदम तो रखा पर उसकी किलकारी भी उसके अपनों ने गूंजने नहीं दी। उसे रेत में उल्टा पटक के उसकी सांस रोक दी। बेटी के प्रति यह जघन्य अपराध किसने किया ये तो पुलिस पता लगा रही है। पर उस मासूम की हत्या करने वाले हाथ नहीं काँपे होंगे।
क्या ये हमारे समाज को सभ्य कहे जाने पर कलंक नहीं है? वो बेटी मर चुकी है पर क्या ये सवाल खड़ा कर गयी है कि आज पढ़े लिखे भारत में बेटियाँ बिना किसी जुर्म के मुजरिम है और मौत की सज़ा भी भुगत लेती है।

छोड़ दो उन्हें पालनाघर में।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। अगर कन्या संतान नहीं चाहिए तो जिला स्तर पर निर्मित पालना घर में उन्हें छोड़ सकते है। सरकार ने समाज के दोहरे चेहरे की वीभत्सा को कम करने का प्रयास कर ही पालनाघर बनाये है। बेटी संतान नहीं चाहिए तो परिजन उसे पालनाघर में छोड़ सकते है जिससे वो सांस ले सके। पालना गृह में छोड़ने पर केस भी दर्ज नहीं होता और पहचान भी गुप्त रखी जाती है। जनप्रतिनिधियों को कम से कम इस योजना की जानकारी अपने क्षेत्रों में दे देनी चाहिए।
सरकारें बेटी जन्म से किस्तें देना प्रारम्भ करती है। जिसमें सरकार “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” ” सुकन्या समृद्धि योजना” सहित कई योजनाएं कन्या हित मे संचालित कर रही है। स्कूल , कॉलेज तक शिक्षा फ्री उनका पोषण फ्री फिर ये कौनसी मानसिकता है कि उसकी जन्मदात्री सहित सभी अपने उसके जीवन का अंत कर देते है।

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