श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 8 नवबंर 2020। गांव मोमासर में भीषण आगजनी का दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें लिछमणराम मेघवाल के सारे सपने जल कर खाख हो गए है। पड़ौसी अम्मीलाल ने उसके बेटे को जिंदा जल गए 11 पशुओं के बीच से बचा लेने पर लिछमणराम के पास आभार के अतिरिक्त कुछ शेष नहीं रहा है। बीती सर्द रात खुले आसमान के नीचे बिताने पर उनकी पत्नी मंजू देवी भगवान से भरी आँखों से रहम करने की प्रार्थना कर रही है। एक पैर से विकलांग लिछमणराम के पास पक्का मकान तो था ही नहीं और घर कहने को तीन कच्ची झोपड़ियां भी शनिवार को सामान सहित जल गई। लिछमणराम ने बताया कि शनिवार दोपहर घर का सामान लाने वह और उसकी पत्नी मंजू गांव गए और पीछे उसकी 9 वर्षीय बालिका अपने 4 वर्षीय भाई और पड़ौस की एक आठ वर्षीय बालिका के साथ खेल रही थी। तभी अचानक आग लग गई और तीनों झोंपड़ो ने आग पकड़ ली। दोनों बच्चियां झोंपड़े से बाहर आ गई और बालक ने डर कर अंदर से झोंपड़े का दरवाजा बंद कर लिया। पड़ौस से अम्मीलाल नायक दौड़ कर आया और दरवाजे तक फैली आग से बालक को निकाल कर उसकी जान बचा ली। झोंपड़े में गरीब परिवार का 11 बकरियों का धन जल कर खाख हो गया। पूरे चौमासे खेत में तप कर मोठ की फसल बेच कर रखें 50 हजार रूपए भी जल गए और साथ ही लिछमणराम का एक पक्का कमरा बनाने का सपना भी जल गया। लिछमण के घर में 2 क्विंटल मोठ, 50 किलो तिल, 50 किलो ग्वार, व 4 क्विंटल बाजरा भी जलने से खाने का अनाज भी नहीं बच सका। लिछमण के दिव्यांग प्रमाण पत्र, बैंक के कागजात, आधार कार्ड, पहनने के कपड़े, खाने का अनाज, पशु, पैसा सब कुछ स्वाहा कर आग शांत हुई तो शेष रह गया लिछमणराम और उसका परिवार। पत्नी ने ढाढस बंधाया की आग में घिरा पुत्र बच गया ईश्वर की यही कृपा रही। पूर्व सरपंच जेठाराम भामू मौके पर पहुंचे और कई ग्रामीणों ने जा जा कर देखा परन्तु अभी तक खाने या पहनने का जुगाड़ कुछ नहीं हो सका है। गांव के बाबूलाल ने कहा कि कोई गरीब की मदद करें तो कम से कम खाने की बाजरी उपलब्ध हो सके। लिछमणराम के सामने दो वक्त के खाने व पहनने के कपड़ों की चिंता के साथ ही 9 किलो पड़ौसी की रखें मोठ कैसे वापस दूंगा की चिंता भी सता रही है।