May 15, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 10 अगस्त 2022। श्रावणी पूर्णिमा को कल रक्षाबंधन है और क्षेत्र में शहर सहित गांवो में त्योहार की घर घर तैयारियां हो रही है। भाई बहनों में जबरदस्त उत्साह है और बाजार में राखियों की दुकानों पर रौनक है। बहने राखियां खरीदने में व्यस्त है और भाई भी बहनों को देने के लिए कपड़े, टॉफियां, गिफ्ट, गहनें अनेक उपहार खरीदने में व्यस्त नजर आ रहें है। राखी बांधने के समय को लेकर विद्वानों के मत सामने आ रहें है आप भी पढें।

हमारे क्षेत्र के विद्वान राजगुरू देवीलाल उपाध्याय ने बताया कि कल हर्षोल्लास के साथ राखी मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि गुरुवार को चंद्रमा सम्पूर्ण अहोरात्र (दिन -रात) मकर राशि में स्थित रहेंगे। गुरुवार को प्रातः 10:38 बजे से पूर्णिमा तिथि आरंभ होने के साथ ही “सिद्धि योग” भी आरंभ हो जाएगा। “सिद्धि योग” को ज्योतिष शास्त्रों में अति शुभ योग माना जाता है। मान्यता अनुसार इस योग में कोई भी शुभ कार्य करने से वें कार्य सिद्ध होते हैं। उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार को पूर्णिमा तिथि आरंभ के साथ ही भद्रा भी आरंभ हो जाएगी जो प्रातः 10:38बजे से रात्रि 08:52 बजे तक रहेगी। किंतु इस दिन चंद्रमा “मकर राशि” में विराजमान रहेंगे। जिस कारण ज्योतिष के कुछ ग्रंथ इस दिन भद्रा का स्वर्गलोक में तो कुछ ग्रंथ पाताल लोक में भी निवास मानते हैं। किंतु दोनों ही परिस्थितियों में इस भद्रा को शुभ माना जाएगा क्योंकि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार स्वर्ग लोक की भद्रा सदैव शुभफल प्रदान करने वाली एवं पाताल लोक की भद्रा सदैव धन प्रदान करने वाली मानी गई है। अतः गुरुवार का सम्पूर्ण दिन रक्षाबंधन के लिए शुभ रहेगा। उपाध्याय ने बताया कि विशेष शुभ समय प्रातः 06:12 बजे से प्रातः 07:50 बजे तक, अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:15 बजे से 01: 03 बजे तक, रात्रि – 08:52 बजे से रात्रि 09:59 बजे तक होगा। इस मत की ओर जानकारी के लिए आप उपाध्याय से बात कर सकते है 9414429246 पर।

वहीं पंडित विष्णुदत्त शास्त्री ने बताया कि इसबार रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा। इसमें पूर्णिमा तिथि प्रातः 10:38 से प्रारम्भ होकर 12 अगस्त शुक्रवार प्रातः 07:05 तक रहेगी। लेकिन इसी समय के मध्य 11 अगस्त को प्रातः 10:38 बजे से भद्रा का आरंभ होता है जो की रात्रि 08:52 तक रहेगी और भद्रा काल में रक्षाबंधन निषेध है। इन्होंने कहा कि धर्मग्रंथों ने स्पष्ट किया है की होलिका दहन, श्रावणी रक्षाबंधन में भद्रा चाहे किसी भी लोक की हो वो त्याज्य है। एक मत और भी है की रक्षाबंधन का त्योंहार अहोरात्रि त्यौहार है अर्थात् दिन और रात मनाया जाता है अतः जब रात्रि 08:52 पर भद्रा की समाप्ति हो रही है और इसके पश्चात राखी बांधी जा सकती है। इन्होंने बताया कि शुभ समय प्रातः 06:12 से 07:50 तथा अतिश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि08:52 से 09:59 और ये निर्णय सागर पंचांग, निर्णय सिन्धु के अनुसार श्रेष्ठ है। इस मत की ओर जानकारी के लिए आप शास्त्री से बात कर सकते है 8290814026 पर।

क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन, पढें ये मंत्र।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। आचार्य रामदेव उपाध्याय ने रक्षाबंधन की कथा के बारे में जानकारी दी। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार हजारों साल पहले राखी बांधने का प्रचलन शुरू हुआ था। सबसे पहली राखी या रक्षासूत्र राजा बलि को बांधा गया था। राजा बलि को मां लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया था। राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी। भगवान ने दो पग में ही पूरी धरती नाप डाली और फिर तीसरा पग देने के लिए तब राजा बलि से कहा तो इस पर राजा बलि समझ गया कि वामन रूप में दिख रहा यह भिखारी कोई साधारण भिखारी नहीं है। तीसरे पग के रूप में राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु के आगे झुका दिया। इससे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ती से प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा। तो राजा बलि ने मांगा कि भगवान स्वयं उसके दरवाजे पर रात दिन खड़े रहें। ऐसा होने के बाद भगवान विष्णु राजा बलि के पहरेदार बन गए। कहा जाता है कि काफी दिन तक भगवान स्वर्गलोक वापस नहीं पहुंचे तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधा और उसे अपना भाई बनाया। मां लक्ष्मी ने राजा बलि से उपहार स्वरूप अपने पति भगवान विष्णु को मांग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तब से अभी तक बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और इसके बदले में भाई से रक्षा का वचन लेती हैं। यही कारण है कि रक्षाबंधन पर या रक्षासूत्र बांधते वक्त जो मंत्र पढ़ा जाता है उसमें राजा बलि को रक्षा बाधंने को याद दिलाया जाता है-
मंत्र – “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”

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