खेतों से निकले तो श्रमिक, किसान एवं सरपंच पर होगा मुकदमा। जाने पूरी खबर।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 17 अप्रेल 2020। रबी की फसल कटाई के लिए क्षेत्र में बडी संख्या में बाहरी राज्यों एवं बाहरी जिलों के श्रमिक आए हुए है। अब कटाई का कार्य पूरा होने के बाद यह श्रमिक यहां से अपने अपने गांव जाने के लिए खेतों से निकल कर सडकों पर पैदल ही रवाना हो रहे है एवं प्रशासन के लिए सरदर्द बन रहे है। क्योंकि प्रशासन कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए जिले की सीलिंग को कठोरता से पालन करवा रहा है। उपखण्ड अधिकारी राकेश कुमार न्यौल ने बताया कि खेतों से निकल कर सडकों पर मिलने वाले सभी श्रमिकों को 15 दिनों के लिए क्वारंटाईन सेंटरों में भेजा जाएगा। वहीं सीओ धर्माराम गिला ने बताया कि इस संबध में सभी सरपंचों को सूचना कर जो जहां है उसे वहीं रखने को कहा गया है। अब भी कोई श्रमिक खेत से निकल कर अपने गांव जाने का प्रयास करता हुआ मिल गया तो उस श्रमिक के खिलाफ एवं साथ में ही खेत मालिक, सरपंच एवं पंचायत स्तर पर बनी हुई कमेटी के खिलाफ मुकदर्मा दर्ज कर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

उपखंड अधिकारी राकेश कुमार न्यौल ने कहा कि कोरोना को हराने की प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की अपील की जिम्मेदारी सरपंच व खेत मालिक भी उठाएं व जिन श्रमिकों से काम करवाया उन्हें लॉकडाउन के समय अब बाहर नहीं निकाल कर अपने खेत पर रखें व खाना देंवे। खेत मालिक से खाने की व्यवस्था नहीं हो सके तो सम्बंधित सरपंच व्यवस्था करें। अगर अब किसी खेत या गांव से श्रमिक को निकाला गया तो खेत मालिक व सरपंच के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

जान के साथ खिलवाड़ है यह यात्रा।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। खेतों से निकल कर अपने गांव जाने की जीद करने वाले लोग अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है। यह कहना है ब्लाक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा श्रीमोहन जोश का। डा जोशी ने बताया कि खेतों में कोई व्यक्ति लगातार लंबे समय से कार्य कर रहा है तो वह कोरोना के संक्रमण से निश्चित रूप से बचा हुआ है लेकिन सडकों पर निकलने के साथ ही ये श्रमिक अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है। क्योंकि कहां कोई संक्रमित व्यक्ति का साथ हो जाए या उसके मूवमेंट के बाद वहां रहे वायरस की चपेट में आ जाए यह भय हमेशा मौजुद है। मोमासर में लाए गए श्रमिक तो एक ट्रक में ही 100 से अधिक संख्या में भेड बकरियों की तरह भरे गए थे। ऐसे में अगर पुरी यात्रा के दौरान एक भी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में कोई आ जाता है तो वह ना जाने कहां तक यह वायरस पहुंचा सकता है। ये श्रमिक अब अगर अपने गांव जाने की जीद करते है तो यह अपने साथ साथ अपने परिवार, अपने गांव के लिए भी खतरा बन रहे है।

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