श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 12 दिसम्बर 2019। दया याचिका खारिज होने के बाद दुष्कर्मियों को फांसी उसी दिन दिए जाने की संभावना है जिस दिन निर्भया के साथ उन्होंने हैवानियत को अंजाम दिया। हालांकि जेल प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं कि है पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोषियों को फांसी 16 दिसम्बर को सूरज उगने से पहले दी जा सकती है।
बहरहाल, हम आपको बता रहे हैं कि जब किसी को फांसी दी जाती है तो उसके साथ वहां कौन-कौन लोग मौजूद होते हैं। क्योंकि इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं। कौन होते हैं वो पांच लोग? क्या होता है ब्लैक वारंट?
-नियमों के आधार पर ब्लैक वांरट लोअर कोर्ट द्वारा जारी किया जाता है।
-भले ही ब्लैक वांरट कोर्ट के माध्यम से जारी होता है, पर फांसी का वक्त जेल सुपरिंटेंडेंट द्वारा निर्धारित किया जाता है।
-उसके बाद कोर्ट को सुपरिंटेंडेंट तय समय बताता है।
-ब्लैक वारंट जारी होने के 15 दिन बाद फांसी दी जाती है।
-जब एक बार वारंट जारी हो जाता है तो फांसी से जुड़ी सभी तैयारियों में भी देरी नहीं होती है।
-नियमों में कुछ हालात में सरकार द्वारा बदलाव भी किया जा सकता है।
-ट्रायल कोर्ट द्वारा ब्लैक वारंट जारी करने के बाद सेशन जज और DG तिहाड़ को जेल सुपरिटेंडेंट फांसी का वक्त बताता है।
-चूंकि फांसी के समय जेल में बहुत गमगीन माहौल बन जाता है इसलिए सभी कैदी अपनी बैरक में बंद होते हैं।
-पांच लोग जो फांसी की सजा देते वक्त मौजूद रह सकते हैं–
1-जेल सुपरिटेंडेंट
2-डिप्टी सुपरिटेंडेंट
3- चिकित्सा अधिकारी (डॉक्टर)
4- मजिस्ट्रेट या ADM।
5- इसके अलावा दोषी जिसे फांसी हो रही है वो चाहे तो वह उसके धर्म का कोई भी नुमाइंदा जैसे पंडित, मौलवी भी फांसी होते हुए देख सकता है।