श्रीडूंगरगढ टाइम्स 1 जनवरी 2020। बॉर्डर का जवान हो या खेत में किसान आज दोनों भारत माँ की एक जैसी सेवा कर रहे है। दोनों सर्द रात में देश हित में सीमा पर और खेत में डटे है ताकि ये देश उन्नति कर सकें। क्षेत्र मे माइनस दो तीन डिग्री की सर्दी में किसानों को सिंचाई के लिए बिजली दी जा रही है। रात को मिलने वाली ये बिजली किसानों की जान पर बन आई है। कोटा संभाग के ठंड से 2 किसानों की जान चली गयी है और हमारे क्षेत्र में भी संभवत प्रशासन किसी सांस के रूकने के इंतजार में है। इस हाड़ कंपाने वाली ठंड का जानलेवा एहसास किसानों को भी है परन्तु असमय बरसात ने खरीफ की फसल में 70 से 100 प्रतिशत खराबा कर किसानों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी। अब वे रबी की फसल पर जीजान से मेहनत कर रहे है। ऐसे में किसान रात को फसलों में सिंचाई के लिए रात को इस कड़कडा़ती ठंड में जानलेवा सिंचाई ही कर रहे है। लोगों को जब घरों से निकल कर बाजार तक जाने में भी परेशानी हो रही है ऐसे में किसानों को रातें बर्फ से पानी में बीता रहे हैं। जब दिन में ही लोग अलाव जला कर ठंड से बचाव कर रहे है तो फिर किसानों के साथ ये अन्याय क्यों किया जा रहा है?
दिन में बिजली दीजिए क्योंकि फसलें पालेंगे नहीं तो खाएंगे क्या?
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। भूमिपुत्रों के साथ क्रुरता का ये व्यवहार करने वाले जिम्मेदारों के कानों पर जुं तक नहीं रेंग रही है। बार बार आग्रह करने पर भी क्या कड़ाके इस ठंड में व्यवस्था में सुधार का कोई मास्टर प्लान नहीं बन सकता है। कई क्षेत्रीय नेताओं ने जिला कलेक्टर सहित सभी अधिकारियों से दिन में बिजली देने की मांग कई बार कर ली है। किसानों ने भी कई बार गुहार लगाई है कि दिसम्बर के आखिरी पखवाड़े व जनवरी के पहले पखवाड़े में कम से कम प्रशासन को संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। किसानों का आरोप है कि प्रशासन को इस ठंड में पानी से सिंचाई करने का दर्द का क्या पता जो वे इस दिशा में कार्यवाही करें। बिजली विभाग से बात करने पर जानकारी मिलती है कि पानी पूरी तहसील में एक रोटेशन से दिया जाता है। परन्तु क्या प्रशासन कोई मास्टर प्लान नहीं बना सकता जिससे कम से कम एक माह जब कड़ाके की ठंड हो तो किसानों को दिन में बिजली दी जा सकें क्योंकि ये अगर फसलें पालेंगे तो हम सभी खाएंगे क्या?
ये कह रहे हैं आंकड़े
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ में उपखण्ड मुख्यालय पर एक 220 केवी जीएसएस है जिससे कितासर, रीड़ी, ऊपनी, मोमासर, दुलचासर, श्रीडूंगरगढ के 132 केवी जीएसएस को बिजली सप्लाई दी जाती है। इन्हीं से क्षेत्र में बने हुए 33 केवी के 95 जीएसएस में सप्लाई जाती है एवं इन 33 केवीजीएसएस से 515 फीडर बना कर क्षेत्र के 12182 कृषि कुओं तक बिजली दी जा रही है। ज्यादातर जीएसएस से तीन रोटेशन में बिजली दी जाती है और ऐसे में कृषि कुंओं पर काम करने वाले क्षेत्र के 12182 किसान परिवारों के कृषकों को महिने में 10 दिन तो निश्चित रूप से सर्द रात में ही बिजली सप्लाई मिल पाती है।
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। गांव उदरासर में बारानी खेतों में भी कोहरे से फायदा देख चने की फसल के किसान प्रसन्न है ।