श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 मई 2021। हिंदी पत्रकारिता दिवस पर जिले सहित सभी पत्रकार समाज को शुभकामनाएं देते हुए जिले में पत्रकारिता की मिसाल बन चुके 97 से अधिक प्रकाशित पुस्तकों के लेखक व साहित्य अकादमी, नई दिल्ली का सर्वोच्च पुरस्कार विजेता मधु आचार्य “आशावादी” ने अपने विचार श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स के साथ साझा किए। आचार्य ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में सकारात्मक पत्रकारिता की आवश्यकता दुनिया को हर युग में है और रहेगी परन्तु आज के दौर में पत्रकारिता करना सबसे बड़ी चुनोती का कार्य हो गया है। क्यूंकि सत्ता और व्यवस्था ने अपनी चाल और चरित्र को बदल लिया है। सत्ता के प्रभाव के कारण पत्रकारिता के मूल्य घटे है और मूल्य घटे तो आम आदमी के बीच पत्रकार का सम्मान कम हुआ। परन्तु फिर निष्पक्ष व साहसिक पत्रकारिता के लिए आज भी बहुत जमीन खाली है। आज आये दिन देश के अलग अलग हिस्सों में पत्रकारों के साथ हो रही घटनाओं ने चिंता बढ़ाई है। आज जब इंटरनेट माध्यम मूर्खों के हाथ लगने वाले उस्तरे के समान हो गया है ऐसे में जोखिम भरे इस काम में केवल पत्रकार से ही सच की उम्मीद की जा रही है। समाज को आज भी पत्रकारों से बड़ी उम्मीद है कि वे सत्ता व व्यवस्था द्वारा किए जाने वाले अन्याय से उनकी सुरक्षा कर सकेगा। बाकी आज चारों स्तम्भ जो लोकतंत्र के हैं, वे सवालों के घेरे में है। हां, इसमें न्याय पालिका पर अब भी देशवासियों का भरोसा बना हुआ है। गलती केवल सत्ता, व्यवस्था और समाज की नहीं है, इस क्षेत्र की भी अपनी समस्याएं है। गहन अध्ययन, साहस, समर्पण न रखने वाले भी कई लोग पत्रकारिता में आ गए है। ऐसे नोसिखिये जिन्हें तीन डब्ल्यू का भी ज्ञान नहीं है। नये नये चेनल, पोर्टल, अखबार, यूट्यूब चैनल ने पत्रकारों की बाढ़ ला दी। यदि पूरा प्रशिक्षण लेकर कोई पत्रकारिता में आये तो स्वागत है अन्यथा यहां भीड़ की जरूरत नहीं। ओर जो आ गये वे निरंतर स्वयं में सुधार का प्रयास करें। क्योंकि पत्रकारिता एक सांस्कृतिक कर्म है, एक सामाजिक जिम्मेदारी है जो अपनी सकारात्मक ऊर्जा व रचनात्मक विचारों से समाज को एक दिशा देने का कार्य भी करती है ये हमें नहीं भूलना चाहिए। आज पत्रकारिता दिवस मूलतः उत्सव का नहीं मूल्यांकन का दिवस है। इस दिन ईमानदारी से हर पत्रकार को अपना और पत्रकारिता का मूल्यांकन करना चाहिए। खुद का सही मूल्यांकन ही पत्रकारिता को इस संक्रमण के दौर से निकालेगा और पत्रकार और पत्रकारिता का संकट दूर होगा। एक नए उजाले के साथ पत्रकारों के सम्मान का सूरज फिर चमकेगा।