श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 16 जनवरी 2021। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे का नगरपालिका चुनाव इस बार सुर्खियों का चुनाव बन गया है। यहां नामाकंन के अंतिम दिन विधायक के हाथ से छीन कर नामांकन फाड़ने के बाद विधायक का हाइवे पर धरना देने, सिंबल जमा करवाते समय के विवाद के बाद विधायक एवं पूर्व विधायक के बीच में तकरार होने आदि ने जम कर सुर्खियां बटोरी वहीं शनिवार को नामांकनों की जांच का मसला तो जयपुर तक पहुंचा। यहां नामांकन पत्रों की जांच में 31 उन प्रत्याशियों के नामांकन खारिज हुए, जिन्होंने पार्टी के नाम से अपना नामांकन दाखिल किया था लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। वहीं वार्ड 3 से माकपा के प्रत्याशी का नामांकन भी दो से अधिक संतान होने पर खारिज किया गया है। शुक्रवार तक कुल 201 नामांकन दाखिल करवाए गए थे एवं अब 169 प्रत्याशी मैदान में है। हालांकि नाम उठाने का समय अभी दो दिन और है एवं इस कारण फाईनल लिस्ट नहीं की जा सकती। इन सबसे से अलग सबसे अधिक विवादित रहा कांग्रेस सेवादल के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस जिला महासचिव विमल भाटी के पिता कमल किशोर नाई के वार्ड 8 से किया गया नामाकंन। यहां पर कांग्रेस से ही बागी बन कर निर्दलीय के रूप में पर्चा भरवाने वाले कांग्रेस के पूर्व नगर अध्यक्ष सोहनलाल ओझा ने नाई को एक प्रकरण में न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने को आधार बनाते हुए उनके नामांकन पर लिखित आपत्ति दर्ज करवाई। एसडीएम द्वारा नाई को नोटिस जारी किया गया एवं इसके जवाब में नाई एवं उनकी पैरवी कर रहे एडवोकेट अशोक कुमार भाटी ने न्यायालय के निर्णय पर उच्च न्यायालय द्वारा स्टे दिए होने की दलील देते हुए नामांकन कायम रखने की मांग की। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम ने बीकानेर एवं जयपुर उच्चाधिकारियों, राजकीय पैरोकार एवं अधिवक्ताओं से मार्गदर्शन लिया। दिन भर चली कशमकश के बाद सांय सात बजे बाद नाई का नामांकन सही माना गया है।
बन गयी नाक की लड़ाई।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 16 जनवरी 2021। शनिवार को भी जयपुर के गलियारों तक सुर्खियां बटोरने वाला यह प्रकरण दरअसल नाक की लड़ाई का मामला रहा जिसे नाई परिवार ने जीत लिया है। विदित रहे कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सोहनलाल ओझा 1995 से लगातार कांग्रेस की और से विभिन्न वार्डों में चुनाव लड़ रहे है। वहीं इस बार उनके गृह वार्ड से कांग्रेस सेवादल के प्रदेश उपाध्यक्ष विमल भाटी के पिता कमल किशोर नाई को कांग्रेस ने टिकट दिया है। ऐसे में ओझा ने पार्टी के इस निर्णय का विरोध करते हुए निर्दलीय के रूप में अपनी ताल इसी वार्ड से ठोक दी एवं दोनों दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के बीच जंग शुरू हो गई। इसी जंग की पहली लड़ाई शनिवार को नामांकन खारिज करवाने एवं खारिज नहीं होने देने की नाक की लड़ाई बन गई। नाई परिवार को पहले से ही इस आपत्ति का अंदेशा था एवं उन्होंने एतिहात के रूप में कमलकिशोर नाई की पुत्रवधू निधि का नामांकन डमी के रूप में दाखिल करवाया था। एवं पार्टी सिंबल में भी दोनों के नाम से दिया गया था। ऐसे में कमलकिशोर नाई का नामाकंन खारिज हो या नहीं हो कांग्रेस का प्रत्याशी के रूप में नाई परिवार का प्रत्याशी मैदान में रहता ही। लेकिन फिर भी ओझा ने इसे अपनी नाक की लड़ाई बनाते हुए उनका नामांकन खारिज करवाने की पूरजोर ताकत लगाई एवं नाई परिवार ने भी पार्टी सोर्स, वकिलों की फौज के साथ साथ जयपुर तक अपने सम्पर्कों को सक्रिय कर आखिरकार ये जंग जीत ली। दिन भर चले इस घटनाक्रम की कस्बे में खासी चर्चा रही और कस्बेवासियों की नजरें इस प्रकरण पर टिकी रही।