May 15, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 26 जून 2021। इस आसन का मतलब होता है शेर आसन या Lion Pose। इस आसन को सिंहासन इसलिए कहते हैं क्योंकि बाहर निकली हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर की भयंकर छवि को दर्शाता है। संस्कृंत में ‘सिंह’ का अर्थ होता है ‘शेर’। सिंहासन आपके आंखो, चेहरे व गर्दन को स्वस्थ रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है।

विधि
1.सिंहासन करने के लिए सबसे पहले आप अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं।
2.दोनों एडि़यों को अंडकोष के नीचे इस प्रकार रखें कि दाईं एड़ी बाईं ओर तथा बाईं एड़ी दाईं ओर हो और ऊपर की ओर मोड़ लें।
3.पिंडली की हड्डी का आगे का भाग जमीन पर टिकाएं।
4.हाथों को भी जमीन पर रखें।
5.मुंह खुला रखे और जितना सम्भव हो सके जीभ को बाहर निकालिये।
6.आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिये।
7.नाक से श्वास लीजिये।
8.सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिये।
यह सिंहासन है।
यह एक बार हुआ।
इस तरह से इसको आप 10 बार कर सकते हैं। अगर कोई परेशानी हो तो इसको ज़्यदा बार कर सकते हैं।

सावधानियां
1.घुटनों में दर्द होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
2.गले के दर्द में इसको न करें।
3.तेज पीठदर्द एवं संतुलन संबंधी समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

लाभ
1.अगर आपको अपनी आवाज को मधुर बनानी हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें। वाणी से संबंधित विकारों में यह उपयोगी होता है। अपनी आवाज को मधुर बनाने के लिए गायक एवं संगीतकार प्रायः इस आसन का अभ्यास करते हैं। अगर कोई हकलाकर बोलता है तो उसे सिंहासन करनी चाहिए।
2. यह योगाभ्यास सामान्यत: सभी पेशियों को और विशेष रूप से चेहरे की पेशियों को तानता है और साथ ही साथ खून की प्रभाव को बढ़ाता है। और इस तरह से आपके खूबसूरती को चार चाँद लगाता है। सिंहासन से चेहरे की झुर्रियां दूर होती हैं तभी इसलिए इसे एंटी ऐजिंग आसन भी कहते हैं।
3. यह थायरॉयड के लिए एक बेहतरीन योग है। इसका रोजाना अभ्यास करने से आप थायरॉयड से संबंधित परेशानियों से बच सकते हैं।
थायरॉयड आपके वजन को बढ़ा सकता है। इसको सिंहासन के जरिये आप कण्ट्रोल कर सकते हैं।
4. इसके अभ्यास से आप अपने आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। इससे आंखों की नसों की कमजोरी दूर होती है।
5. इसका नियमित अभ्यास से गले में होने वाले संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
6.पेट की पेशियों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। इसके नियमित अभ्यास से आप पेट के बहुत सारे रोगों से अपने आपको निजात दिला सकते हैं।
7. यह रक्त संचार को सुधारता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन व चेहरे में रक्त का संचार सही ढंग से होता है।
8. सिंहासन से आपको अस्थमा में आराम मिलता है।
9. गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिये यह एक श्रेष्ठ आसन है।
10.मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है।
11. इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी पुष्ट होती है और इससे सम्बंधित परेशानियों से बचाने में मदद करता है।
12. इसके नियमित अभ्यास से दांत, जीभ, जबड़ा और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है।
13. आमाशय, छोटी आंत , बड़ी आंत और गुर्दे की सफाई के लिए लाभदायक है ।

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