व्रत और त्योहारों की शुरुआत तो जुलाई से ही हो जाती है। सावन के सोमवार, फिर हरियाली उसके बाद हरितालिका तीज जैसे कई अवसरों पर महिलाएं व्रत रखकर पूजा-पाठ करती हैं। इसके बाद आता है नवरात्रि का उत्सव, जिसमें लगातार नौ दिनों का उपवास किया जाता है। बहुत से लोग नौ दिनों के व्रत में कुछ न कुछ खाते हैं लेकिन कुछ लोग पूरी तरह से अन्न का नौ दिनों तक त्याग करते हैं। तो ऐसा करना कितनी हद तक है सही, इस पर भी गौर कर लेना है जरूरी।

विशेषज्ञ की राय

व्रत रखना सेहत की दृष्टि से हमेशा नुकसानदेह साबित होता है। व्रत के दौरान लोग कई घंटों तक खाली पेट रहते हैं। उसके बाद उन्हें बहुत तेज भूख लगती है। इसलिए न चाहते हुए भी उनसे ओवर ईटिंग हो ही जाती है। इस अवस्था में अंतः स्त्रावी ग्रंथियों से इंसुलिन का अधिक मात्रा में सिक्रीशन होता है। इससे शरीर में बहुत ज्यादा कैलरी अब्जॉर्ब होने लगती है। इसी वजह से ज्यादा व्रत रखने वाले लोग अक्सर ओवरवेट होते हैं और वे यह सोचकर चिंतित रहते हैं कि व्रत रखने के बावजूद मेरा वजन कम क्यों नहीं हो रहा। उनका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। व्रत रखने से वज़न घटने के बजाय बढ़ता है। उपवास के दौरान शरीर का मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है। इससे कैलोरी बर्न होने के बजाय शरीर में जमा होने लगती है, जो मोटापे का कारण बन जाती है। व्रत की वजह से एसिडिटी और गैस की भी समस्या होती है। एक बात ये सच है कि व्रत से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। लेकिन लंबे समय तक भूखा रहने की जगह हल्का-फुल्का बीच में खाना गलत नहीं। गरिष्ठ के बजाय हल्की चीज़ों का सेवन करना चाहिए।

व्रत के दौरान रखें ये सावधानियां

1. व्रत के दुष्प्रभावों से बचने के लिए बीच-बीच में नींबू पानी, पाइनएप्पल जूस, नारियल पानी, विटामिन ए से भरपूर फल जरूर लेना चाहिए।

2. व्रत के दौरान बहुत ज्यादा चाय या कॉफी, मीठी चीज़ें लेना अवॉयड करना चाहिए।

3. किडनी, हार्ट या या लंग्स की प्रॉब्लम से लंबे समय से जूझ रहे हैं तो व्रत न करना ही बेहतर रहेगा और फिर भी करना चाह रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर कर लें।

4. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आलू, खीर, साबूदाना, पकोड़े जैसे हैवी खाने से परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि इस तरह का खाना वज़न बढ़ाने में अहम रोल निभाता है।