श्रीडूंगरगढ टाइम्स 22 अप्रेल 2020। आज पृथ्वी दिवस पर कृषिप्रधान श्रीडूंगरगढ के सभी धरती पुत्रों को टाइम्स की तरफ से बधाई। आज के दिन किसान हित की बात में क्षेत्र के ऐसे किसान के बारे में जानते है जिसने संभवत हमारे क्षेत्र में पहली बार काले गेंहू की उपज लेकर एक नया फायदेमंद रास्ता किसानों के लिए खोल दिया है। गांव लोडेरा के रामप्रताप जाट ने करीब एक बीघा में क्षेत्र में प्रथम बार काले गेंहू उगाए है। परपंरागत गेहूं की फसल की अपेक्षा काला गेहूं फायदे का सौदा बताते हुए रामप्रताप अन्य किसानों को भी जागरूक कर रहे है। चार भाईयों में सबसे बड़े स्नातक तक की पढाई करने वाले रामप्रताप नौकरी के बजाय खेती-किसानी में रम गए है और तीन भाई इसी श्रम से जुड़े है। परंपरागत कृषि की बजाय कुछ नया करने में विश्वास रखने वाले रामप्रताप ने लिखमादेसर में स्थित अपने मामा का खेत लेकर कृषि करते हुए काले गेहूं की फसल एक बीघा से भी कम में इसकी बुवाई की थी। उन्हें बरसात के कारण बुवाई में देरी हुई व खराब मौसम के बावजुद फसल कटने के बाद उन्हें साढ़े चार क्विटंल की उपज प्राप्त हुई है। अगली बार वे इसे 11 बीघा में बोने की बात कह रहे है। रामप्रताप ने बताया कि पूरा परिवार पिता खियांराम सहित खेती से ही जुड़ा है जिससे कृषक परिवारों की उपज बढ़ने के उपाय खोजते हुए मैने गंगानगर से 20 किलो बीज मंगवाया और अब यह गेंहू 110 से 130 रूपए तक प्रति किलो बिक सकेगा। रामप्रताप ने बताया कि सामान्य गेहूं एक बीघा में औसतन 8 क्विंटल उपज देता है वहीं यह 1 बीघा में 8-9 क्विंटल उपज देता है। अब आस पास के सभी किसान रामप्रताप से बीज की मांग करने लगे है। अच्छे दाम पर ये गेंहू खरीदने के लिए भी फोन भी उनके पास आ रहे है।
यह है खासियत-श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। काले गेंहू को काला सोना कहा जा रहा है। देखने में काले और बैगनी रंग का होता है। इनके लगभग सभी गुण साधारण गेंहू के समान ही है इसमें एंथ्रोसैनिन पिंगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण रंग काला होता है। साधारण गेंहू में एंथ्रोसैनिन पिंगमेंट की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है, जबकि काले गेंहू में यह में 40 से 140 पीपीएम तक होती है।
दिल की बीमारियों में कारगर-श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। एंथ्रोसैनिन एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक है जो हार्ट अटैक, मोटापा, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया, अनिद्रा, दिल से जुड़ी बीमारियों आदि रोगों में काफी कारगर साबित होता है। यह शरीर से फ्री रेडिकल्स निकाल बाहर करता है। काला गेंहू का स्वाद सामान्य गेंहू से थोड़ा से अलग है, पर स्वास्थ्य के हिसाब से बेहद पौष्टिक है। ये आम गेंहू से कई गुणा ज्यादा पौष्टिक है। इसमें जिंक की मात्रा अधिक होती है। नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नालॉजी इंस्टीट्युट मोहाली ने इस पर रिसर्च कर काले गेंहू का पेटेंट करवा लिया है। एनएबीआई ने इसका नाम “नाबी एमजी” रखा है। एनएबीआई ने ब्लैक व्हीट की मार्केटिंग के लिए कई बड़ी कम्पनियों से बात करनी शुरू कर दी है। जो किसान उत्पादन करें वह एनएबीआई को बेच भी सकते है।