March 29, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 5 मई 2020। पश्चिम बंगाल में रह रहे राज्य के प्रवासियों को बंगाल से कोटा तक तो बंगाल की राज्य सरकार ने भेज दिया लेकिन विडम्बना है कि इन प्रवासी नागरिकों को समस्याओं का सामना बंगाल के बजाय अपने राज्य राजस्थान में कहीं अधिक करना पड़ा है। कोटा में पढ़ने वाले पश्चिम बंगाल के विद्यार्थियों को यहां से बंगाल भेजा गया तो उन्ही बसों में बंगाल सरकार ने राजस्थान के प्रवासियों को बंगाल से कोटा तक भेज दिया। ये प्रवासी कोटा तो पहुंच गए लेकिन अपने राज्य में आने के बाद से ही इन प्रवासियों के बुरे हाल शुरू हो गए। कोटा में इन्हे जबरन उतार दिया गया एवं वहां से श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के करीब 40 प्रवासी नागरिक अपने स्तर पर ही पैसे एकत्र कर कोटा से जयपुर तक बसों को किराए कर के ले आए। इन लोगों ने अपने स्तर पर ही जयपुर में भी परिवहन के साधनों की अनुमति प्राप्त करने का प्रयास किया एवं अपने स्तर पर किराया देकर भी आने को तैयार है लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो ये लोग पैदल ही रवाना हो गए। जयपुर बस स्टैण्ड से ये लोग करीब 12 किलोमीटर पैदल चल कर टांटियावास टोल नाके तक तो पहुंच गए है लेकिन यहां अब एकदम पस्त होकर बैठ गए है। अपने ही राज्य के निवासियों के साथ ऐसा बर्ताव राज्य सरकार की असंवेदनशीलता दिखा रहा है एवं इस कारण गांव लौट रहे इन प्रवासी नागरिकों में जबरदस्त रोष व्याप्त है।

विधायक महिया हुए सक्रिय।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। टांटीयावास टोल पहुंचने के बाद प्रवासी श्रमिकों ने क्षेत्र के विधायक गिरधारीलाल महिया से सम्पर्क किया एंव अपनी व्यथा बताई। इस पर विधायक तुरंत सक्रिय हुए एवं इन प्रवासियों को बसों द्वारा श्रीडूंगरगढ़ तक लाने के प्रयास शुरू कर दिए है। महिया ने क्षेत्र के इन प्रवासियों को देर रात्रि जयपुर में जबरन उतार देने एवं वहां से यहां तक की व्यवस्था नहीं करने पर राज्य सरकार की निंदा की है व जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम को पत्र लिखकर तुरंत प्रभाव से इन प्रवासियों को श्रीडूंगरगढ़ तक लाने के लिए व्यवस्था करने की मांग की है। महिया ने बताया कि प्रशासन से बाचतीच सकारात्मका रही है एवं शिघ्र ही इन प्रवासियों को गांव लाने के लिए वाहनों की व्यवस्था होने की उम्मीद है। महिया ने इनके भोजन की व्यवस्था करवाई है।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। टांटियावास में पैदल चल कर थके प्रवासी मदद के इंतजार में वहीं रुक गए है। विधायक महिया कर रहें है प्रयास।

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