


श्रीडूंगरगढ टाइम्स 15 अप्रेल 2020। कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से हर कोई घर में बंद है। जब इस माहौल से बड़े-बूढ़े ही तनाव में हैं, घबराहट और डर में जी रहे हैं तो बच्चों पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बच्चे इस महामारी के असर से बचे हुए हैं। उन्हें भले ही घर में बंद रख वायरस से बचाने के हर संभव प्रयास कर रहे हों, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के इस माहौल में उनके मानसिक स्वास्थ्य भी असर पड़ रहा है। यूनिसेफ के मुताबिक, वर्तमान कोरोना वायरस महामारी की वजह से बच्चों में भी चिंता, तनाव और अनिश्चितता के भाव हैं। इसके कारणों में स्कूल का बंद होना, आयोजनों का रद्द होना, घर के घर में सीमित रहना और खासकर दोस्तों से दूर रहना शामिल हैं। वहीं बच्चों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने की एक बड़ी चिंता है। लॉकडाउन का यह समय ऐसा है कि इस स्थिति में बच्चों को ज्यादा प्यार और परवाह की आवश्यकता होती है।
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अजय मोहन का कहना है कि घर के अंदर बच्चों को व्यस्त रखकर कोरोना वायरस संक्रमण की पकड़ से बच सकते हैं। यूं तो बच्चों को घर के अंदर बंद रखना बहुत मुश्किल है, लेकिन ऐसी गतिविधियां करवाएं, जिसमें उनकी रुचि हो, वे उसमें मन लगा सकें और इस महामारी के कारण हो रहे तनाव से दूर रह सकें। माता-पिता के लिए भी बच्चों की इन गतिविधियों में शामिल होना काम का हो सकता है। घर में बंद बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल इन टिप्स को अपनाकर कर सकते हैं।
सबसे पहली और जरूरी बात है कि इस दौरान डेली रूटीन सही रखें। बच्चों के सोने, खाने, एक्सरसाइज, पढ़ाई और खेल के समय को सही तरीके से शेड्यूल करें। रूटीन का बच्चों के ऊपर सही असर पड़ता है।
रोजाना दिन में कम से कम एक घंटा बच्चों के साथ रूबरू हो। अगर घर से काम रहे हैं और घर के कामों में व्यस्त हों तो भी यह जरूर करें।
बच्चों के ही नहीं पहले अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखें क्योंकि गुस्सा, चिंता या नकारात्मकता बच्चे जल्दी ले लेते हैं।
बच्चों से पूछे कि वे फ्री टाइम में क्या करना चाहते हैं। उन्हें खुद इस बात का फैसला लेने दे इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। अगर वह ऐसी कोई गतिविधि चुनते हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग में खलल हो तो उन्हें आराम से समझाएं।
बचाव और रोकथाम के तरीकों को लेकर बच्चों से नियमित रूप से बात करें। यह उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगा और घर में रहने की फिलहाल की जरूरत भी समझ आएगी।
अगर बच्चा गलत व्यवहार करे तो बहुत गुस्सा न करें। उनके व्यवहार के पीछे का कारण तलाशें, क्योंकि यह घर में रहने की निराशा भी हो सकती है। उन्हें सजा देने की बजाए बात करें और बताएं कि गलत व्यवहार के क्या परिणाम हो सकते हैं।
अन्य माता-पिताओं या बच्चों के साथ ऑनलाइन बातचीत भी कर सकते हैं, ताकि बच्चे जुड़े हुए महसूस करें।