बीकानेर चुनाव का ऊँट भाजपा करवट बैठा है, अब पंचायतों पर ध्यान।

श्रीडूंगरगढ टाइम्स 18 नवम्बर 2019। कस्बे में आज हथाई में चारों तरफ बीकानेर की सरकार की चर्चा ही छाई रही। बीकानेर में 80 वार्डों में 38 वार्डों में भाजपा, 30 में कांग्रेस और 11 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। एक वार्ड में बसपा ने बाजी मार ली। चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में आने से केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को बधाईयाँ दी जा रही है परन्तु मेघवाल के वार्ड में भाजपा का हार जाना भी चर्चा का विषय रहा। कस्बे के भाजपा नेता व कार्यकर्ता आज प्रस्न्न नजर आये की जिले में महापौर उनका बन रहा है। आज हमारे शहर में चर्चा यही रही कि भाजपा “अबक जोर खा राख्यों है” और मोदी के सहारे भाजपा पांव पसारती जा रही है। हमारे क्षेत्र के गांवों में चुनाव परिणाम लगातार कांग्रेस ही पक्ष में आते रहे है। इस बार विधायक कॉमरेड गिरधारी महिया को बना कर जनता ने बदलाव के संकेत दे दिए है। परन्तु आज हमारे कस्बे में चाय की थड़ियों पर व पान की दुकानों पर चर्चा में यह घोषणाऐं कर दी कि हमारे गांवों की सरकार के निर्माण पर भी इस परिणाम गहरा असर दिखेगा। कांग्रेस के लिए भाजपा अब गांवों में भी कड़ी चुनौती बन कर उभर रही है। चर्चा रही कि राज्य सरकार में मंत्री बी.डी. कल्ला भी अपने वार्ड में कांग्रेस के प्रत्याशी को हार से नहीं बचा सके। हांलाकि परिणाम एकतरफा नहीं है क्योंकि 11 सीटें निर्दलीयों ने निकाली है। चर्चा देवीसिंह भाटी की भी रही कि कैसे जनता नीतियों के कारण समय के साथ भाटी सरीखे राजनीतिज्ञ को नकार देती है। उनकी पार्टी सनम चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी। बीकानेर की जनता ने एक रोचक परिणाम नेताओं को दिया। जनता ने दोनों ही पार्टियों के महापौर के दावेदार माने जा रहे मीना आसोपा, आरती आचार्य, रेणू कंवर, सविता जोशी चुनाव हारया। हमारे क्षेत्र में भी सरपंच चुनाव की सुगबुगाहट प्रारम्भ हुई व ग्रामीण स्तर पर नये नेताओं की चुनाव लड़ने की तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी है। अभी तो शहर के चुनाव पर फोकस था पर अब पार्टियों का ध्यान गांव की तरफ बढ़ेगा।