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श्रीडूंगरगढ टाइम्स 17 मई 2020। जैन धर्म के ओघनिर्युक्ति ग्रंथ में आज कोरोना संकटकाल में बहुत ही प्रासंगिक मिला है। इस ग्रंथ की रचना लगभग 2400 साल पहले आचार्य चाणक्य व चंद्रगुप्त के समय भद्रबाहुस्वामी ने की थी। इन्होंने साधु-साध्वियों के लिए अनेक छोटी छोटी बातें बताई वही बातें आज देश विदेश सभी लोगों को WHO समझा रहा है और सामान्य व्यक्ति भी उसे अपना रहें है। इस ग्रंथ से दस खास बातें आज टाइम्स आपके साथ भी शेयर कर रहा है पढ़े और कोरोना से सुरक्षित रहें।
1- इस जैन ग्रंथ में बताया गया है जो भी बीमार हो और उसे करवट आदी बदलने में कोई सहायक चाहिए तो उसे सेवा देने वाले सहायक को हाथ में कोई वस्त्र रख कर उसे छूना चाहिए। WHO कह रहा है कि कोई कोरोना वायरस से संक्रमित है तो उसे छूना नहीं और छूना ही पड़े तो गलब्स पहन कर ही छूएं।
2- सेवा देने वाले व्यक्ति को कार्य होने के बाद मिट्टी से हाथ धोये यही WHO कह रहा है कि संक्रमित क्षेत्र से आओ तो हाथों को साबुन से रगड़ कर धोए और सेनेटाइज करें।
3- बीमार व्यक्ति को अलग मकान हो तो उसमें रखें ना मिले तो मकान के अलग कमरे में और अगर संभव ना हो तो मकान के हॉल के एक कोने में पर्दा करके अलग रखना और WHO की भाषा में पेंशेट को क्वारेंटाइन रखना।
4- बीमार द्वारा स्पर्श की हुई चीज को अन्य व्यक्ति स्पर्श ना करें और जिस दरवाजे का उपयोग बीमार व्यक्ति आने जाने के लिए उस दरवाजे का प्रयोग स्वस्थ लोग नहीं करें WHO भी यही कह रहा है कि संक्रमित व्यक्ति के लिए अलग रूम, लेटबाथ की व्यवस्था हो जहां स्वस्थ लोग नहीं जाए।
5- बीमार को भोजन दूर खड़ा रह कर देना चाहिए और उससे ज्यादा बातचीत नहीं करें इसें करीब से देखें तो विकसीत राष्ट्र वायरस संक्रमित पेशेंट को भोजन आदी देने में रोबोट का इस्तेमाल कर रहें है। WHO का यही कहना है कि संक्रमित के सम्पर्क में आए बिना भोजन पहुंचाए।
6- बीमार की सेवा करने के लिए निडर निर्भीक व्यक्ति को ही नियुक्त करना चाहिए, जिसे धर्म पर श्रद्धा हो और खुद पर भरोसा हो वो आगे से सेवा की पहल करें। WHO भी कहना है कि जो शरीर से तदुंरूस्त है खुद को सम्भालने में सक्षम है वो व्यक्ति ही ट्रीटमेंट करें याने नर्स, डॉक्टर आदि।
7- महामारी के चलते अगर मृत्यु हो जाए तो उसकी देह को सम्भाल कर अंतिम क्रिया करनी चाहिए। WHO की गाइडलाइन के अनुसार आज जिसकी भी मृत्यु हो रही है उसके शरीर को परिवार को नहीं दिया जाता और अंतिम क्रिया कर दिया जाता है।
8- अगर किसी घर में महामारी का असर हो तो उधर से आहार पानी नहीं लेना चाहिए। WHO का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा सम्पर्क में आए अन्य जल से भी संक्रमण फैल सकता है। इसलिए ऐसे आहार पानी को ग्रहण ना करें।
9- बिना वजह किसी भी लोहे की वस्तु को स्पर्श न करें, संक्रमण बढ़ने की आंशका रहती है। WHO भी यही कह रहा है कि बिना वजह पब्लिक पैलेस पर किसी वस्तु को खासकर लोहे की वस्तुओं को स्पर्श ना करें क्योंकि वायरस इस पर काफि देर तक टिका रहता है।
10- साथ में रहेंगे तो संक्रमण फैलेगा इसलिए साधु भगवंतों को उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आप 10 के ग्रुप में हो तो और छोटे छोटे दल में बंट जाना चाहिए, जैसे दो-दो या तीन-तीन के दल में इसके बाद भी संक्रमण फैले तो अकेले विहार करना चाहिए। ये चलेगा पर उस समय साथ में नहीं रहना जब संक्रमण फैल रहा हो। आगे वे कहते है कि महामारी अग्नि की तरह होती है वे एक साथ चीजों को जला देती है और अलग-अलग रह रही चीजें जलने से बच जाती है इसीलिए अगर अलग अलग होने से ही सुरक्षा संभव हो तो महामारी के समय अलग अलग विचरण करना उचित भी है और समझदारी भी है। WHO की भाषा में सोशल डिस्टेंसिंग। हमारे इतिहास के आंकलन से ज्ञात होता है कि हमारे महान ज्ञातासंत भद्रबाहु को 2400 वर्ष पहले भी यह ज्ञान था जो आज WHO दुनिया को बांट रहा है। हमारे इतिहास के गौरव के साथ अध्यात्म से जुडें रहें और ऐसी ही रोचक जानकारियां टाइम्स आपके साथ बांटने के लिए तत्पर रहेगा।